अजब गजबधार्मिकमुख्य समाचारहजारीबाग

आस्था, भक्ति और हैरतअंग्रेज कारनामों का संगम हैं चड़क  (मंडा) पूजा

इस त्यौहार में सदियों से चली आ रही परंपरा का होता है निर्वहन

अशोक कुमार  शर्मा

हजारीबागः भक्ति, आस्था और लोगों के हैरतअंगेज कारनामे का संयुक्त प्रदर्शन चड़क पूजा में देखने को मिलता है। झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा राज्य के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में यहां की पौराणिक संस्कृति और सभ्यता की अमिट झलक भी इस त्यौहार में देखने को मिलती है। अलग- अलग क्षेत्र में लोग अलग- अलग नाम से इस त्यौहार को जानते हैं।

कहीं भोक्ता पर्व, कहीं मंडा तो कहीं चड़क मंडा पूजा के नाम से इसे जाना जाता है। भगवान भोले शंकर इस पर्व में मुख्य आराध्य देवता होते हैं, जिनकी लोग बड़े ही भक्ति भाव से लीन होकर पूजा- अर्चना करते हैं।

और कई घंटे तक निर्जला उपवास में रहकर अपने पीठ में हंसते- गाते सुई की कील भौंकवाकर उसमें रस्सी के सहारे करीब 30- 35 फीट ऊंचे लकड़ी के बने विशेष तरह के खुट्टे के सहारे ऊपर में घूमकर अपनी परीक्षा और ईश्वर भक्ति का अद्भुत प्रदर्शन करते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में कई मायने में इस त्यौहार को अहम माना जाता है। कहीं- कहीं तो धधकते अंगारों में भी भक्त चलकर अपनी भक्ति की अग्नि परीक्षा देते हैं। इसी त्यौहार के बाद लोग नए पत्ते और नए फल को साल में पहली बार अपना निवाला भी बनाना शुरू करते हैं।

अनेक क्षेत्रों में इस दौरान भक्तों की हैरतअंगेज कारनामे को देखने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है।

भक्त अपने पीठ, चीभ, गला, पैर आदि  में कील भौंकवाकर भी एक दवाई तक नहीं लेते और जल्द ही सबकुछ ठीक हो जाता है। सामान्यतः लोग एक सुई या पिन चुभने पर टेटनस की सुई लेते हैं , लेकिन यह ईश्वर भक्ति का अद्भुत कारनामा ही है जो ये अपने दर्द का एहसास तक नहीं करते।

सदियों से चली आ रही इस परंपरा के निर्वहन को अच्छी बारिश, फसलों के उपज और सुख- समृद्धि के लिए किया जाता है। इस त्यौहार में बड़ा ही कठिन व्रत होता है और व्रत के दौरान पूरी तरह सागदी और सात्विक होकर कई कठोर नियमों का पालन भी करना होता है ।

झारखण्ड के बोकारो, धनबाद, रामगढ़, हजारीबाग, सरायकेला- खरसावां, खूंटी और रांची सहित कई क्षेत्रों में चैत्र माह में होता है। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल और उड़िया सहित अन्य राज्यों के ग्रामीण इलाकें में भी इस त्यौहार की परंपरा का निर्वहन किया जाता है ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button