लंदनः प्रमुख व्यापारिक समाचार पत्र फाइनेंशियल टाइम्स ने अडाणी समूह के विस्तारित स्पष्टीकरण और अपनी रिपोर्ट वापस लेने की मांग को खारिज कर दिया है। दरअसल उसमें एक रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद ही अडाणी समूह ने इस बारे में प्रकाशित तथ्यों का खंडन करते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। इसके बाद विवाद बढ़ गया था।
अडाणी समूह का आरोप है कि उनके कारोबार और परिवार की छवि धूमिल करने का यह प्रयास है और अखबार ने खुद अपने ही तथ्यों को सही ढंग से पेश नहीं किया है। इस पर भारतीय मीडिया में अडाणी के पक्ष में लगातार समाचार प्रकाशित किये गये हैं। अब एफटी के एक प्रवक्ता ने बताया कि उनका लेख सटीक और सावधानी से तैयार किया गया है और इसी वजह से वे अपनी रिपोर्टिंग पर कायम हैं।
दरअसल फाइनेंशियल टाईम्स ने विदेशी कंपनियों के निवेश के बारे में जो सूचनाएं छापी हैं, उनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया हुई है। अडाणी के कारोबार में निवेश करने वाली कई बड़ी कंपनियों ने इस पर कंपनी से स्पष्टीकरण भी मांगा है। इनमें फ्रांस की वह कंपनी भी शामिल हैं, जिसने अडाणी कंपनी में हिस्सेदारी खरीदी है।
अडाणी समूह ने 10 अप्रैल, 2023 को एफटी को लिखे एक पत्र में एफटी की उसी रिपोर्ट को हटाने की मांग की थी। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी से जुड़ी अपतटीय कंपनियों ने 2017 और 2022 के बीच समूह में कम से कम $ 2.6 बिलियन का निवेश किया, कुल एफडीआई में प्राप्त $ 5.7 बिलियन से अधिक का 45.4 प्रतिशत होता है।
डेटा रेखांकित करता है कि कैसे अस्पष्ट मूल के धन ने अडाणी को अपने विशाल समूह का निर्माण करने में मदद की है क्योंकि उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के विकास एजेंडे के साथ खुद को संरेखित करते हुए एक बुनियादी ढांचा क्षेत्र में व्यापार और प्लास्टिक संचालन का विस्तार किया।
इससे जुड़ी तमाम ऐसी कंपनियों, जिन्हें भारतीय राजनीति में शेल कंपनी भी कहा गया है, के बारे में कहा गया है कि दरअसल उन कंपनियों का निवेश अभी के आकलन से अधिक भी हो सकता है। एफटी, जो कई रिपोर्टों के साथ अडाणी समूह में गहरी दिलचस्पी ले रहा है, ने कहा है कि सितंबर 2022 तक, अडाणी समूह भारत के सबसे बड़े धन प्राप्तकर्ताओं में से एक था, जिसे आधिकारिक तौर पर एफडीआई के रूप में दर्ज किया गया था, जिसे 6 प्रतिशत प्राप्त हुआ था।
12 महीने की अवधि में सूचीबद्ध एफडीआई में समूह के 2.5 बिलियन डॉलर में से 526 मिलियन डॉलर अडाणी परिवार से जुड़ी दो मॉरीशस कंपनियों से आए, जबकि लगभग 2 बिलियन डॉलर अबू धाबी की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी से आए। अडाणी समूह ने कहा है कि निवेश संबंधी पूरी जानकारी पहले से ही सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध है। इस खंडन के अनुरोध के बाद भी फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी बात से पीछे हटने से इंकार कर दिया है।