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अलीपुरदुआर: यहां के बक्सा बाघ परियोजना में अचानक ही जंगली कुत्तों का एक झूंड देखा गया है। इसे वन विभाग के लोग और पर्यावरण विशेषज्ञ बहुत बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। इस प्रजाति को इंडियन ढोल नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में इसकी तादाद बहुत कम हो गयी है।
पहले भी विभाग को इस प्रजाति के यहां होने की भनक थी लेकिन पहले इनके वहां होने का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल पाया था। जंगल के अंदर लगाये गये ट्रैप कैमरे में इसी प्रजाति के कुत्तों का एक समूह कैद हुआ है। विभाग के डीएफओ प्रवीण कासवान ने इसे बड़ी बात माना है।
वैसे भी इस जंगली प्रजाति के कुत्तों की संख्या भारतवर्ष सहित अन्य भागों में बहुत कम हो गयी है। पर्यावरण विशेषज्ञ इस प्रजाति के वहां पाये जाने को एक शुभ संकेत मानते हैं। दरअसल यह ऐसी प्रजाति है जो मिलकर शिकार करती है। वे अपने प्राकृतिक आचरण की वजह से जंगल में आबादी के अनुपात को कायम रखने तथा मरे जानवरों को साफ करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
बक्सा ब्याघ्र परियोजना के घने जंगलों में एक समूह को देखे जाने का अर्थ यह भी है कि इस प्रजाति को यहां का माहौल समर्थन दे रहा है। इसी वजह से वे इस जंगल में अब दोबारा से अपनी तादाद बढ़ाने में कामयाब हुए हैं। वैसे जानकार यह भी बताते हैं कि इंडियन ढोल प्रजाति के कुत्ते देश के दूसरे हिस्सों में भी थे पर अब सभी जंगलों में उनकी संख्या बहुत कम हो चुकी है।
वरना अधिक संख्या में होने की स्थिति में बड़े से बड़ा जानवर भी इनके रास्ते से हट जाता है। झूंड में हमला करने वाला यह प्राणी भूख लगने पर सामने नजर आने वाले किसी भी शिकार पर हमला करने से बाज नहीं आता है।