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नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो को वैश्विक गैर-लाभकारी ऑक्सफैम की भारतीय शाखा की जांच करने के लिए कहा गया है, आरोपों के बाद कि यह विदेशी निधि अधिनियम का उल्लंघन कर रहा था। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ऑक्सफैम इंडिया ने विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद भी विभिन्न संस्थाओं को विदेशी धन हस्तांतरित किया।
कानून इस तरह के पैसों के लेदन देन पर रोक लगाता है। ऑक्सफैम का एफसीआरए लाइसेंस पिछले साल जनवरी में निलंबित कर दिया गया था, जिसके बाद गैर-लाभकारी संस्था ने गृह मंत्रालय में एक पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। उसी घटना से साफ हो गया था कि यह अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त संस्था केंद्र सरकार की नजर में चढ़ गयी है।
अब सूत्रों ने कहा कि पिछले साल आयकर विभाग के एक सर्वेक्षण के दौरान मिले ईमेल से संकेत मिलता है कि ऑक्सफैम इंडिया एफसीआरए को दरकिनार करने की योजना बना रही थी, इसके लिए अन्य संघों या लाभकारी परामर्श मार्ग के लिए धन का उपयोग कर रही थी। इनमें से एक थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च है, जिसका एफसीआरए लाइसेंस केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल मार्च में निलंबित कर दिया था।
एफसीआरए लाइसेंस के निलंबन का मतलब है कि कोई संगठन विदेशी फंडिंग प्राप्त नहीं कर सकता है। सरकार के इस कदम की विपक्षी कांग्रेस ने आलोचना की और एक द्विपक्षीय बैठक में ब्रिटेन ने इसे उठाया। सूत्रों ने कहा कि फंड को कथित तौर पर कमीशन के रूप में उसके सहयोगियों और कर्मचारियों के माध्यम से सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च को भेजा गया था।
यह गैर-लाभकारी के टीडीएस डेटा से भी परिलक्षित हुआ, जिसने धारा 194जे के तहत 2019-20 वित्तीय वर्ष में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च को ₹12,71,188/- का भुगतान किया। सूत्रों ने कहा कि आईटी सर्वेक्षण ने ऑक्सफैम इंडिया को विदेशी संगठनों या संस्थाओं की विदेश नीति के एक संभावित साधन के रूप में उजागर किया है, जिन्होंने वर्षों से संगठन को उदारतापूर्वक वित्त पोषित किया है। ऑक्सफैम इंडिया ने नामित एफसीआरए खाते में विदेशी योगदान प्राप्त करने के बजाय सीधे अपने एफसी उपयोगिता खाते में 1.50 करोड़ रुपये की विदेशी निधि प्राप्त की।