इस्लामाबादः ईरान से लगती सीमा के पार से एक आतंकवादी हमले में शनिवार को दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में चार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, सेना ने कहा। सेना ने एक बयान में कहा कि जब केच जिले के जलगाई सेक्टर में आतंकवादियों ने हमला किया, तब ये जवान पाकिस्तान-ईरान सीमा पर नियमित सीमा गश्त का हिस्सा थे।
इस हमले के लिए जिम्मेदारी का तत्काल दावा किसी भी संगठन के द्वारा नहीं किया गया था। इससे पहले अफगानिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में हो रहे हमलों को लिए पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से आने वाले आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया था।
इस घटना के बाद सेना ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आतंकवादियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए ईरानी अधिकारियों के साथ आवश्यक संपर्क स्थापित किया जा रहा है। इसने हताहतों की पहचान शेर अहमद, मुहम्मद असगर, मुहम्मद इरफान और अब्दुर रशीद के रूप में की।
सेना ने कहा कि इससे पहले शुक्रवार को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के उत्तरी वजीरिस्तान में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में एक पाकिस्तानी सैनिक मारा गया। जनवरी में, पाकिस्तानी प्रधान मंत्री शाहबाज शरीफ ने बलूचिस्तान में ईरान के साथ सीमा पर चार सुरक्षा अधिकारियों की हत्या की निंदा की।
उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि ईरान यह सुनिश्चित करेगा कि सीमा पार हमलों के लिए उसकी मिट्टी का उपयोग नहीं किया जाए। इससे पहले पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर भी ऐसा ही आरोप लगाया था। कई इलाकों में हुए हमलों में पाकिस्तानी तालिबान का हाथ बताया गया था। वैसे पश्चिमी दुनिया की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में तालिबान की लड़ाई को समर्थन देने के दौरान ही पाकिस्तान ने जिन आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया था, अब वे ही पाकिस्तान के लिए गले की हड्डी बन गये हैं।
वैसे कुछ विश्लेषकों इसे देश की आर्थिक हालत से भी जोड़कर देखने की बात कह रहे हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की शर्तों को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा जल्दबाजी में उठाए गए कदमों की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है। शनिवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, महीने दर महीने महंगाई दर 3.72 फीसदी रही, जबकि पिछले साल की औसत महंगाई दर 27.26 फीसदी थी।
मार्च में मुद्रास्फीति की दर फरवरी (31.5%) से अधिक हो गई। ब्यूरो ने कहा कि भोजन, पेय और परिवहन की कीमतों में साल-दर-साल लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्षों से पाकिस्तान के वित्तीय कुप्रबंधन और राजनीतिक अस्थिरता ने अर्थव्यवस्था को बर्बादी की ओर धकेल दिया है। वैश्विक ऊर्जा संकट और विनाशकारी बाढ़ के कारण 2022 में देश का एक तिहाई हिस्सा पानी में डूब गया था। इसके बाद से स्थिति और खराब हो गई है।