कूटनीतिबयान

लगता है नरेंद्र मोदी पाकिस्तान की मदद करेंगे

कूटनीति और चुनावी राजनीति के मुद्दे पर रॉ के पूर्व प्रमुख का बयान

  • भारत को कूटनीति के पेंच को समझना होगा

  • रूस, चीन और ईरान हमारे काफी करीब है

  • हमारा नया दोस्त अमेरिका काफी दूर है

राष्ट्रीय खबर

कोलकाताः आर्थिक संकट से जूझते पाकिस्तान की मदद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं। वहां के घटते विदेशी मुद्रा भंडार, राष्ट्रव्यापी बिजली संकट, राजनीतिक अस्थिरता और गिरते पाकिस्तानी रुपये ने पहले ही पड़ोसी राज्य को आईएमएफ से बेलआउट पैकेज लेने के लिए प्रेरित किया है।

रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दौलत का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल के अंत में किसी न किसी स्तर पर पाकिस्तान की ओर रुख कर सकते हैं और राजनीतिक और आर्थिक संकट का सामना कर रहे पड़ोसी राज्य को उबार भी दे सकते हैं।

उनका यह बयान ठीक आरएसएस के  एक वरिष्ठ नेता के उस बयान के बाद आया है, जिसमें यह कहा गया था कि शत्रु होने के बाद भी भारत को ऐसी परिस्थिति में पाकिस्तान की जनता की मदद करनी चाहिए और वहां कमसे कम पर्याप्त गेंहू भेजना चाहिए।

श्री दौलत ने यह कहते हुए ईरान-रूस-चीन धुरी के अत्यंत मजबूत होने की चेतावनी दी और कहा कि कि भारत का नया सहयोगी यूएसए दूर है। भौगोलिक तौर पर दूसरे खेमा के लोग हमारे पड़ोसी हैं और काफी निकट हैं। एक समाचार एजेंसी को दिये गये साक्षातकार में रॉ के पूर्व निदेशक ने कहा कि पाकिस्तान से बात करने के लिए हर समय सबसे अच्छा समय होता है।

हमें अपने पड़ोसियों को व्यस्त रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि थोड़ा और सार्वजनिक जुड़ाव के साथ बातचीत को खुला रखना अनिवार्य था। उन्होंने कहा कि मेरा अनुमान है कि इस साल मोदी जी पाकिस्तान को राहत देंगे। कोई अंदर की जानकारी नहीं है, लेकिन यह मेरा अनुमान है।

श्री दौलत, जिन्होंने अपने दिनों में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के प्रमुख के रूप में माना जाता है कि उन्होंने पड़ोसी देश में कई गहरी पैठ वाले खुफिया अभियान चलाए हैं।

कई विश्लेषकों का मानना है कि अतीत में इसी तरह के संकट से निपटने का पाकिस्तान का तरीका जहां उसने अपनी भू-राजनीतिक स्थिति का लाभ उठाया है और वैश्विक भागीदारों से किराया वसूला है, अब काम नहीं कर रहा है और इसलिए यह भारत के साथ शांति और व्यापार पर बात करने के लिए अधिक खुला हो सकता है।

हालाँकि, श्री दौलत ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान के साथ जुड़ाव हमेशा घरेलू राजनीति से प्रभावित रहा है। दो पड़ोसियों के बीच शांति वार्ता अतीत में घरेलू धारणाओं के लिए इस हद तक बंधक रही है कि पाकिस्तान ने भारत के निर्यात को सबसे पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा देने से भी इनकार कर दिया है, जिसे वह आंतरिक राजनीतिक मजबूरियों के परिणामस्वरूप सभी डब्ल्यूटीओ हस्ताक्षरकर्ताओं को देने के लिए बाध्य है।

पूर्व जासूस प्रमुख ने बताया कि चीन के लिए भारत की ओर से कूटनीतिक प्रयास अधिक खुली कूटनीति होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आप अपनी चीन की तरफ पीठ मोड़ लेते हैं और ट्रम्प का स्वागत करते हैं, जो चीनियों के साथ अच्छा नहीं होता है। उन्होंने कहा सभी पक्षों के साथ अच्छे समीकरण बनाए रखना भारत की गुटनिरपेक्षता की परंपरा का हिस्सा था। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि एक मजबूत धुरी विकसित हो रही है, जो ईरान-रूस-चीन है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button