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शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद फिर से पुराने तेवर में दोनों पक्ष

  • नियम 377 का उल्लेख होने के बाद लोस में हंगामा

  • राज्यसभा में दोपहर तक पहले कार्यवाही स्थगित

  • धनखड़ ने नोटिसों को फिर से खारिज कर दिया

नईदिल्ली: स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को आज राज्यसभा में याद किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। सदन की कार्यवाही शुरु होते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इन तीनों नायकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए 1931 में अपने प्राणों को न्यौछावर किया था।

इसके बाद स्वतंत्रता आंदोलन में निर्णायक बदलाव आया तथा देश स्वतंत्र हो गया। इसक साथ ही लोग गरिमापूर्ण जीवन जीने लगे। उन्होंने कहा कि तीनों शहीद अपने बलिदानों को लेकर नयी पीढ़ियों के लिए प्ररेणा के स्रोत बने रहेंगे। बाद में सदस्यों ने उनके सम्मान में दो मिनट मौन खड़े होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इसके अलावा संसद के दोनों सदन आज भी हंगामे के शिकार रहे। लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बीच भारी हंगामे के कारण पीठासीन अधिकारी को सदन की कार्यवाही छह बजे तक स्थगित करनी पड़ी।

भोजनावकाश के बाद दो बजे जैसे ही पीठासीन अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही शुरु की विपक्षी सदस्य सदन के बीचोंबीच आकर जेपीसी की मांग करने लगे। पीठासीन अधिकारी ने सदस्यों से कहा कि जरूरी कागजात सदन के पटल पर रखे जा रहे हैं तो सदस्य शांत हो गये।

श्री अग्रवाल ने जरूरी कागजात रखने के बाद जैसे ही नियम 377 के तहत मामले उठाने को कहा तो विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया और सरकार पर तानाशाही करने का आरोप लगाकर न्याय देने की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे। उन्होंने सदस्यों से शांत रहने को कहा लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई और उन्होंने सदन की कार्यवाही छह बजे तक स्थगित कर दी।

इससे पहले सुबह शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू किया तो विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे। जवाब में सत्तापक्ष के सदस्य भी अपने स्थान पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। अध्यक्ष ने कहा कि वह सदन को चलाना चाहते हैं, प्रश्नकाल के बाद नियमों के अनुरूप सभी सदस्यों को बोलने का मौका दिया जाएगा। हंगामा नहीं रुका तो श्री बिरला ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी।

दूसरी तरफ सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों के हंगामे के कारण गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।

उप सभापति हरिवंश ने भोजनावकाश के उपरांत सदन की कार्यवाही शुरु करने का प्रयास किया तो दोनों पक्ष के सदस्य शोर-शराबा करने लगे और अपनी सीटों से आगे आकर खड़े हो गये। श्री हरिवंश ने दोनों पक्षों के सदस्यों से शांत होने और सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की। इसका सदस्यों पर कोई असर नहीं होता देखकर उन्होेंने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।

हंगामे के बीच सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सदन के संचालन को लेकर कोई समझौता नहीं हो पा रहा हैं। इसी दौरान तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दलों, जनता दल (यू) , आम आदमी पार्टी , राष्ट्रीय जनता दल के साथ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य अपनी सीट से एक साथ जोर जोर से बोलने लगे।

हंगामे के दौरान ही विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कुछ कहा जिसे शोरगुल के कारण सुना नहीं जा सका। इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित करने की घोषणा की। इससे पूर्व श्री धनखड़ ने कहा कि नियम 267 के तहत चर्चा कराने के लिए 12 सदस्यों ने नोटिस दिया है, जिन्हें अस्वीकार कर दिया गया हैं।

नोटिस देने वाले सदस्यों में कांग्रेस प्रमोद तिवारी, अखिलेश प्रसाद सिंह, श्रीमती रंजीता रंजन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विश्वम, द्रमुक के तिरुचि शिवा और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह इन सदस्यों में शामिल है। इन सदस्यों ने अडानी मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने को लेकर नोटिस दिया था।

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