राष्ट्रीय खबर
जलपाईगुड़ी : बाघ था, बन गए बिल्ली, यह प्रसिद्ध बांग्ला कवि सुकुमार रॉय की एक कविता के जैसा ही है। स्वर्गीय श्री राय ने अपनी प्रसिद्ध काव्य रचना ह ज ब रल में लिखी एक कविता में इस वाक्य को दर्ज किया था। यहां भी कुछ ऐसी ही घटना घटी। लोगों ने जिसे पेड़ पर सोता हुआ बाघ या चीता समझा था वह दरअसल बाघरोल निकली। बाघरोल एक प्रजाति की बिल्ली है, जो खास तौर पर मछलियों का शिकार समझती है। दरअसल उसे ही पेड़ पर सोता हुआ देख लोगों ने उसे बाघ या चीता समझ लिया था।
देखें वीडियो https://fb.watch/jo777K3gCG/
डूयार्स के इलाके में बाघ और चीता दोनों की मौजूदगी होने की वजह से लोगों में भय होना अस्वाभाविक नहीं था। धुपगुड़ी के इलाके में इसे ही बाघ समझने से दहशत फैल गई। शनिवार की सुबह इलाके के लोगों ने एक पेड़ के तने पर पड़े काले-पीले रंग के धारीदार जानवर को देखकर उसे ही बाघ या चीता समझ लिया था। इस खबर के फैलने की वजह से वन विभाग को भी आनन फानन में सूचना दी गयी। वन विभाग ने आकर जंगली जानवर को जाल में फंसा लिया।
धूपगुड़ी के वार्ड नंबर 2 के राय पारा में कटहल के पेड़ पर शनिवार की सुबह रहवासियों ने एक धारीदार जानवर को सोता हुआ देखा। इससे पहले पिछले साल 25 फरवरी को शहर के वार्ड नंबर 4 में बासक घर के पेड़ पर एक तेंदुआ बैठा हुआ था। पेड़ के ऊपर आराम से सोने वाले इस जानवर को पकड़ने और नीचे लाने के लिए वनकर्मियों को मशक्कत करनी पड़ी।
आखिरकार बेहोशी वाली गोली लगने के बाद पूर्ण विकसित तेंदुए को बेहोशी की हालत में पेड़ से गिरा दिया गया। कटहल के पेड़ पर बैठे जानवर की सूचना पर आस पास के लोग भी एकत्रित हो गये थे। मोहल्ले में तेंदुआ घुसने की खबर पाकर बिन्नागुड़ी वन्य जीव दस्ते के वनकर्मियों ने एक पल की भी देरी नहीं की लोगों के पास जाने से हादसा हो सकता है इस डर से धूपागुड़ी थाने की पुलिस आई और वनकर्मियों की मदद कर जंगल से जंगल को हटा दिया।
उसके बाद ऑपरेशन तेंदुआ शुरू किया गया। वनकर्मियों ने पेड़ को जाल से घेर लिया जिस पर जानवर बैठा था। बिन्नागुरी वन्यजीव दस्ते के रेंज अधिकारी सुभाशीष रॉय ने कहा कि इसमें ज्यादा समय नहीं लगा। वनकर्मी जब पेड़ पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे तो जानवर जाल में फंस गया। तब यह स्पष्ट था कि यह एक तेंदुआ नहीं था, बल्कि एक बाघरोल था जो पत्तियों के नीचे पेड़ की शाखा पर बैठा था।
नीचे से उसकी धारियां देखकर लोगों को गलतफहमी हो गयी थी। रेंज ऑफिसर सुभाशीष रॉय ने कहा ऊंचाई पर होने की वजह से धारीदार चमड़ी वाला बाघ भी काफी हद तक तेंदुए जैसा दिखता है। लेकिन जिसे पकड़ा गया वह मछली-मुर्गी जैसे छोटे जानवरों को अपना भोजन बनाता है। डूआर्स के जंगलों से सटे इलाके में इसकी अच्छी संख्या है। वनकर्मियों ने बचाए गए बाघरोल को प्राथमिक उपचार के बाद सोनाखली जंगल में छोड़ दिया।