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विधायक ओझा के सवाल से घिर गया ऊर्जा विभाग

राज्य गठन के बाद सिर्फ खर्च बढ़ा बिजली गुणवत्ता में सुधार नहीं

  • ऊर्जा विभाग का बजट लगातार बढ़ता गया

  • मांग के अनुरुप सप्लाई नहीं होने से नुकसान

  • छह लाख से बढ़कर अब राज्य के 48 लाख उपभोक्ता

राष्ट्रीय खबर

रांचीः विधायक अनंत ओझा के एक प्रश्न ने ही राज्य की बिजली व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। श्री ओझा ने सदन में बिजली पर सवाल पूछा था। उन्होंने कहा था कि राज्य गठन के वक्त ऊर्जा विभाग का बजट सात सौ करोड़ रुपये का था। यह बजट अब बढ़कर 4854 करोड़ रुपया हो चुका है।

इसके बाद भी राज्य के जिलों में आठ से दस घंटे तक बिजली बाधित रहती है। इसके उत्तर में यह बताया गया है कि शहरी क्षेत्रों में 22 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 20 घंटे विद्युतापूर्ति हो रही है। लेकिन बजट बढ़ने के सवाल को स्वीकार कर लिया गया है।

भाजपा के युवा नेता और विधायक श्री ओझा ने राज्य के उपभोक्ताओं पर भी सवाल करते हुए यह पूछा था कि क्या राज्य गठन के वक्त इस राज्य में छह लाख उपभोक्ता थे, जो अब बढ़कर 48 लाख हो चुके हैं। इस वजह से राज्य के बिजली की मांग 650 मेगावाट से 2500 मेगावाट हो गयी है।

विभाग ने इसे स्वीकार किया है। साथ ही अपने उत्तर में ही बता दिया है कि सभी माध्यमों को मिलाकर अभी राज्य में 3109 मेगावाट बिजली का इंतजाम है। श्री ओझा ने राज्य के उपभोक्ताओँ को निर्बाध बिजली कब से मिलेगी का सवाल पूछा था। इस पर विभाग की तरफ से यह बताया गया है कि कई अन्य बिजली उत्पादन संयंत्रों के साथ एकरारनामा किया गया है।

उनके क्रियान्वयन से राज्य के पास 4226 मेगावाट बिजली उपलब्ध होगी। इससे साफ है कि फिलहाल ऊर्जा विभाग के पास राज्य के बिजली संकट को दूर करने के लिए अपनी कोई योजना नहीं है और वह दूसरे माध्यमों से बिजली खरीद के भरोसे ही चल रही है। इसके बीच ही राज्य के ऊर्जा विभाग का बजट बेतहाशा बढ़ा है।

श्री ओझा ने राज्य में बनाये गये 53 ग्रीडों को पर्याप्त बिजली नहीं मिलने से होने वाले नुकसान की भी चर्चा की है, जिस पर विभाग की तरफ गोलमटोल उत्तर देते हुए बताया गया है कि ग्रामीण इलाकों में 20 घंटे और शहरी इलाकों में 22 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है।

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