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मीर मुख्तियार अली और नेहा सिंह राठौर के लोकगीतों का जादू

  • देश भर के एक सौ से अधिक कलाकार पहुंचे

  • 17 मार्च को छह सौ कलाकार निकालेंगे जुलूस

मेदिनीनगरः भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के 15वें राष्ट्रीय महाधिवेशन का असर डाल्टेनगंज की सड़कों, गलियों, चौराहों पर नजर आने लगा है। इप्टा के नीले झंडों से शहर की सड़कें पटी हुई हैं, तो चौराहों और मुख्य स्थलों पर प्रेम, शांति और सद्भाव का संदेश देते पोस्टरों में इप्टा की रंग यात्रा का खाका भी दिखाई देता है।

चौराहों पर शहर में हो रहे इस अखिल भारतीय महोत्सव की चर्चाएं भी जोरों पर हैं। 16 मार्च की शाम से लेकर 19 मार्च को देर रात तक विभिन्न नाटकों, फिल्मों, सूफी गायन, लोक गीतों, लोक नृत्यों की प्रस्तुतियों को देखने और उनका आस्वाद करने के लिए शहर की जनता के मन में उत्सुकता भी है और गर्व भी। इस दौरान मशहूर सूफी गायक मीर मुख्तियार अली 17 मार्च को अपनी प्रस्तुति देंगे, तो वहीं चर्चित लोक गायिका नेहा सिंह राठौर 19 मार्च को अपनी प्रस्तुति देंगी।

इप्टा के इस महत्वपूर्ण और बहुप्र​तीक्षित आयोजन के लिए संस्कृतिकर्मी, कलाकारों का डाल्टेनगंज आना शुरू हो गया है। करीब 100 अधिक कलाकार बुधवार शाम तक शहर में आ चुके हैं। इसके अलावा 16 मार्च की शाम तक 600 से अधिक कलाकार यहां पहुंच जाएंगे, जो बाद में 17 मार्च को रंग जुलूस में शामिल होंगे और अलग अलग समय में अपनी प्रस्तुतियां देंगे।

गौरतलब है कि 17 से 19 मार्च तक आयोजित हो रहे इस इप्टा महाधिवेशन के दौरान तीन दिवसीय नीलांबर-पितांबर लोक महोत्सव का भी आयोजन किया जाएगा। 17 मार्च को 15 नगाड़ों की गूंज और झारखंड समेत अलग-अलग राज्यों की विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बीच जन सांस्कृतिक मार्च (रंग जुलूस) के साथ तीन दिवसीय महाधिवेशन का आगाज होगा। इसके बाद शिवाजी मैदान में आम सभा का आयोजन किया जाएगा।

इप्टा के 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन और सांस्कृतिक महोत्सव का औपचारिक आगाज 17 मार्च को होगा, लेकिन इसकी पूर्व संध्या पर मांधी स्मृति टाउन हॉल में 16 मार्च की शाम को इंदौर इप्टा की ओर से प्रस्तुत नाटक “धीरेंद्र मजूमदार की मां” का मंचन किया जाएगा। इसके अलावा शाम साढ़े सात बजे से मशहूर गजलकार और संस्कृतिकर्मी कैफी आजमी के जीवन पर आधारित सुमंत्रा घोषाल की फिल्म कैफीनामा, केपी स​शी का म्यूजिक वीडियो अमेरिका अमेरिका और मसूद अख्तर की फिल्म “कहां कहां से गुजरे” का प्रदर्शन किया जाएगा।

17 मार्च को सुबह साढ़े नौ बजे झंडा वंदन और शहीदों को श्रद्धांजलि से कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन होगा। इसके बाद कला और पोस्टर प्रदर्शनी का उद्घाटन होगा। इसमें देश के मशहूर चित्रकारों के चित्रों समेत कविता पोस्टर और इप्टा के कलाकारों, लेखकों के वक्तव्यों की झांकी प्रस्तुत की जाएगी। दोपहर 2 बजे से रंग जुलूस निकाला जाएगा, जिसमें देश भर से आए 600 कलाकारों के अलावा झारखंड के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकार हिस्सेदारी करेंगे। इसमें शहर में जगह जगह कला रूपों का प्रदर्शन, जनगीतों का गायन, नृत्य नाटिकाएं आदि प्रस्तुत की जाएंगी।

17 मार्च को ही शाम में कलात्मक प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इसमें झारखंड, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, बिहार, आंध्र प्रदेश के कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। इस दौरान महशूर सूफी गायक मीर मुख्तियार अली और उनकी टीम की ओर से विशेष प्रस्तुति दी जाएगी।

18 मार्च को समकालीन परिदृश्य: मुद्दे और रचनाकर्म, खेती किसानी का संकट, सामाजिक न्याय, आर्थिक असमानता और सांप्रदायिकता, वैज्ञानिक चेतना और तार्किकता और जेंडर के सवाल पर ​देश भर से आए बुद्धिजीवी, कलाकार, एक्टिविस्ट, पत्रकार और संस्कृतिकर्मी अपनी बात रखेंगे। इस दौरान देश की मौजूदा सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों पर विचार विमर्श कर आने वाले समय के लिए इप्टा की कलात्मक अभिव्यक्ति का खाका खींचा जाएगा।

18 मार्च को शाम को जनगीतों के अलावा तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, केरल, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्यों की ओर से प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इस दौरान लकी गुप्ता का नाटक मां मुझे टैगोर बना दे का भी मंचन किया जाएगा।  सम्मेलन के समापन अवसर पर बिहार और पंजाब के लोक नृत्यों के अलावा जनगीतों की प्रस्तुति होगी। साथ ही सीमा घोष का पंडवानी गायन इस शाम की विशेष प्रस्तुतियों में शामिल होगा। इसी मौके पर च​र्चित लोक गायिका नेहा सिंह राठौर के लोक गीतों की प्रस्तुति भी शाम का मुख्य आकर्षण होगी।

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