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नेताओँ की अपनी अपनी जमीन बनाये रखने की चिंता
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भाजपा सांसद बीडी राम शुरु से ही लगातार सक्रिय रहे
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अलग दावेदावों की अपनी अपनी खिचड़ी पकने लगी है
राष्ट्रीय खबर
मेदिनीनगरः होली का अवकाश बीत जाने के बाद अब कई कारणों से पलामू की राजनीतिक गरमी भी बढ़ने वाली है। इसमें पहला तो पैक्स का चुनाव है क्योंकि यह ग्रामीण स्तर पर राजनीति के भविष्य के निर्धारण का रास्ता खोलती है। दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से लगातार आंदोलन करने तथा जिला के भ्रष्ट अफसरों को चेतावनी देने की वजह से भी माहौल गरमा रहा है।
पार्टी ने यह एलान कर दिया है कि जिला में भ्रष्ट अधिकारियों के काम काज पर जल्द ही एक शिष्टमंडल रांची जाकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने वाला है। दूसरी तरफ भाजपा की तरफ से अब तक बयानों में सुस्ती होने के बाद भी जमीनी स्तर पर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपने अपने जनाधार को मजबूत बनाने में जुटे हैं।
झामुमो की कमान इस पूरे प्रमंडल में गढ़वा के विधायक और राज्य के मंत्री मिथिलेश ठाकुर के पास होने के बाद भी अन्य दलों की सक्रियता बढ़ने की वजह से झामुमो के कार्यकर्ता भी अपनी सक्रियता बढ़ाना चाहते हैं। इसी क्रम में पैक्स के चुनाव के दौरान भी अपने अपने जनाधार की परीक्षा करने की तैयारियां प्रारंभ हो चुकी हैं।
पलामू की राजनीति पूरे राज्य में चूंकि अलग किस्म की है, इसलिए उसे राजनीतिक पैमाना भी माना जाता है। दूसरी तरफ पलामू की राजनीति पर बिहार की राजनीति का भी असर पडता है। इसलिए लालू प्रसाद के किडनी प्रत्यारोपण के लौट आने के बाद राष्ट्रीय जनता दल भी अपनी खोयी जमीन को वापस पाने में फिर से कमर कस रहा है।
कुल मिलाकर पूरे पलामू प्रमंडल में इनदिनों फिर से राजनीतिक सक्रियता फिर से बढ़ने के स्पष्ट संकेत मिलने लगे हैं। सभी दलों को राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे बदलाव और उथलपुथल की भी जानकारी है। इसी हिसाब से स्थानीय राजनीति भी निर्धारित हो रही है। इन तमाम गतिविधियों के केंद्र में अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी है।
पलामू की सीट पर दो बार चुनाव जीत चुके पूर्व डीजीपी बीडी राम हमेशा ही जमीनी स्तर पर सक्रिय रहे हैं। भाजपा के अन्य स्थापित नेताओं का पूर्ण सहयोग नहीं मिलने के बाद भी उन्होंने अपने अनुभव से खुद की जमीन बनायी है।
वरना पूर्व में ब्रजमोहन राम यहां के सांसद हुआ करते थे। राजनीतिक सक्रियता के आधार पर कहें तो फिलवक्त भाजपा में बीडी राम की तुलना में किसी अन्य नेता की राजनीतिक सक्रियता नहीं के बराबर है। दूसरी तरफ मिथिलेश ठाकुर के मंत्री बन जाने की वजह से झामुमो की सक्रियता अधिकतर सरकारी कार्यक्रमों तक सीमित हो गयी है। इसके बीच ही इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी टिकट के दावेदार अंदर ही अंदर अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए भी राजनीतिक सरगर्मी को बढ़ा रहे हैं।