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हर तरह एक जैसा काम कर सकता है
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ऑक्टोपस का अध्ययन कर ही बनाया है
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साफ्ट रोबोटिक्स में इसका बेहतर उपयोग होगा
राष्ट्रीय खबर
रांचीः हम भले ही अपनी आंख से इस समुद्री जीव को ना देख पाये हों लेकिन सिनेमा अथवा दूसरे माध्यमों से हम ऑक्टोपस को जानते हैं। इस पर कई साइंस फिक्शन फिल्में भी बन चुकी हैं।
अपने अत्यंत अधिक लचीले शरीर की वजह से यह जीव अत्यंत छोटे इलाके में भी खुद को समा लेता है। लेकिन यहां चर्चा ऑक्टोपस की भुजों की हो रही है। ऑक्टोपस भुजाएं पहुंचने, पकड़ने, पकड़ने, रेंगने और तैरने जैसी जटिल गतिविधियों को करने के लिए स्वतंत्रता की लगभग अनंत डिग्री का समन्वय करती हैं।
यह उसके शरीर का सबसे सक्रिय अंग होता है और यह समुद्री जीव इतनी सारी गतिविधियां अपने इन्हीं हाथों जिन्हें हम सूंढ़ भी कह सकते हैं, की मदद से कैसे कर लेता है, यह रहस्य, विस्मय और प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। इसके लचीले बाहों की अजीब सी बनावट है।
उसे अपना ढेर सारा काम करने की शक्ति आंतरिक मांसपेशियों के जटिल संगठन और बायोमैकेनिक्स से मिलती है। अब भारतवंशी प्रशांत मेहता और मटिया गज़ोला के नेतृत्व में एक बहु-विषयक परियोजना में इस समस्या का समाधान किया है।
वे इलिनोइस विश्वविद्यालय में यांत्रिक विज्ञान और इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं। रॉयल सोसाइटी की पत्रिका में इसके बारे में बताया गया है। इन दो शोधकर्ताओं और उनके समूहों ने ऑक्टोपस बांह की मांसपेशियों का शारीरिक रूप से सटीक मॉडल विकसित किया है।
मेहता ने कहा, हमारा मॉडल, अपनी तरह का पहला, न केवल जैविक समस्या में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, बल्कि सॉफ्ट रोबोट के डिजाइन और नियंत्रण के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
ऑक्टोपस की बाहें उसके हथियार हैं और उनकी प्रभावशाली क्षमताओं ने लंबे समय तक नरम रोबोटों के डिजाइन और नियंत्रण के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य किया है।
इस तरह के सॉफ्ट रोबोट में कृषि से लेकर सर्जरी तक के प्रयोगों के साथ मनुष्यों के आसपास सुरक्षित रूप से संचालन करते हुए असंरचित वातावरण में जटिल कार्य करने की क्षमता होती है। अध्ययन के प्रमुख लेखक स्नातक छात्र हेंग-शेंग चांग ने बताया कि ऑक्टोपस की बाहों जैसी नरम शरीर वाली प्रणालियां एक प्रमुख मॉडलिंग और नियंत्रण चुनौती पेश करती हैं।
वे चुनौती हैं तीन प्रमुख आंतरिक मांसपेशी समूहों – अनुदैर्ध्य, अनुप्रस्थ और तिरछे द्वारा संचालित होते हैं। यानी आम समझ की भाषा में ऑक्टोपस अपनी इस भुजाओं के किसी भी तरह मोड़ कर वह काम कर सकता है, जो वह करना चाहता है। इसी जटिल क्रिया की नकल कर रोबोट को भी ऐसे ही लचीली भुजाएं प्रदान की गयी हैं।
इस टीम ने ऑक्टोपस की तरह रोबोट की बाहों को भी एक साथ और इसी तरीके से संचालित करने की विधि विकसित की है। पोस्टडॉक्टोरल विद्वान और इस शोध प्रबंध के लेखक उदित हलदर ने बताया कि भुजा कम से कम एक ऊर्जा परिदृश्य पर टिकी हुई है।
स्नायु सक्रियता संग्रहीत ऊर्जा कार्य को संशोधित करती है, इस प्रकार हाथ की संतुलन स्थिति को स्थानांतरित करती है और गति का मार्गदर्शन करती है। संग्रहीत ऊर्जा का उपयोग करके मांसपेशियों की व्याख्या नाटकीय रूप से हाथ के नियंत्रण डिजाइन को सरल बनाती है।
विशेष रूप से, अध्ययन एक ऊर्जा-आकार देने वाली नियंत्रण पद्धति की रूपरेखा तैयार करता है ताकि हेरफेर कार्यों को हल करने और समझने के लिए आवश्यक मांसपेशियों की सक्रियता की गणना की जा सके। जब इस दृष्टिकोण को इलास्टिका सॉफ्टवेयर वातावरण में संख्यात्मक रूप से प्रदर्शित किया गया था।
एक ऑक्टोपस हाथ को तीन आयामों में सिम्युलेट किया गया था। हलदर के अनुसार, शोध दल का काम प्रदर्शन की गणितीय गारंटी प्रदान करता है, जिसमें अक्सर मशीन सीखने सहित वैकल्पिक दृष्टिकोणों की कमी होती है। यह काम इलिनोइस विश्वविद्यालय में चल रहे सहयोग के एक बड़े पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है।
ऐसे रोबोटिस्ट हैं जो इन गणितीय विचारों को ले रहे हैं और उन्हें वास्तविक सॉफ्ट रोबोटों पर लागू कर रहे हैं। मेहता और गैज़ोला के समूहों ने इस अध्ययन के लिए अपने गणितीय मॉडल में देखे गए ऑक्टोपस फिजियोलॉजी को शामिल करने के लिए आणविक और एकीकृत शरीर विज्ञान के इलिनोइस प्रोफेसर एमेरिटस रानोर जिलेट के साथ सहयोग किया।
इस काम में इंजीनियरिंग के प्रोफेसर गिरीश कृष्णन के साथ सहयोग कर रहे हैं। यह न केवल सॉफ्ट रोबोटों को नियंत्रित करने का एक व्यवस्थित तरीका तैयार करेगा, बल्कि उनके कार्य तंत्र की गहरी समझ भी प्रदान करेगा।