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एनआईए अदालत के जज पर आरोप
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मामले को सुलझाने की कोशिश जारी
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98 कैदियों ने दिया है यह आवेदन
राष्ट्रीय खबर
रांचीः रांची सेंट्रल जेल के विचाराधीन कैदियों का एक हस्ताक्षरित पत्र अब स्थानीय न्यायालय के वरीय अधिकारियों की नींद उड़ा रहा है। खबर है कि इस पर गुपचुप बात चीत भी हो रही है और नाराज कैदियों को मनाने की जिम्मेदारी भी कुछ लोगों को सौंपी गयी है।
दरअसल इन कैदियों ने विधिवत जेल के कानून का पालन करते हुए अपनी शिकायत सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पहुंचायी है। इस पत्र की प्रतिलिपि स्थानीय स्तर पर भी संबंधित पक्षों को भेजी गयी है। इसमें गंभीर आरोप है कि वर्तमान में एनआईए अदालत सही ढंग से काम नहीं कर रहा है।
कैदियों की शिकायत में कई ऐसे मुद्दों का उल्लेख किया गया है, जिनकी जांच अगर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई तो हंगामा खड़ा हो सकता है। सूत्रों की मानें तो अदालती प्रक्रिया से जुड़े कुछ लोग इन शिकायतों को सही भी मानते हैं। इसी वजह से व्यवहार न्यायालय में इस पत्र के मारक प्रभाव को कैसे कम किया जा सके, इस पर प्रयास जारी है।
जानकार बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश की त्वरित और कठोर कार्रवाइयों की वजह से निचले स्तर पर हड़कंप मचा हुआ है। इस वजह से आनन फानन में इस बात की कोशिश की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की तरह से कुछ पूछे जाने के पहले ही इस विवाद का निपटारा हो जाए।
कैदियों की शिकायत अदालती प्रक्रिया में जज की भूमिका पर अधिक है। इसी वजह से यह मामला अब अधिक गंभीर हो गया है। दस्तावेजी गतिविधियों की जानकारी रखने वाले सूत्रों के कहा है कि किसी वरीय अधिकारी अथवा जज ने पत्र में उल्लेखित मुद्दों के साक्ष्य अगर एनआईए अदालत में तलाशना प्रारंभ कर दिया तो एक नहीं कई लोग इसकी चपेट में आ जाएंगे।
मिली जानकारी के मुताबिक इन कैदियों ने जेल मैनूअल के तहत ही बंदी आवेदन पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान एनआईए जज की भूमिका पक्षपातपूर्ण हो गयी है और वह कानून पर ध्यान दिये बगैर ही सिर्फ अभियोजन पक्ष की बात सुन रहे हैं।
यह अपने आप में एक गंभीर आरोप है। इस आरोप की गंभीरता इसलिए भी अधिक हो गयी है क्योंकि एक पत्र में 98 कैदियों के हस्ताक्षर हैं। यह पत्र सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के अलावा दूसरे जिम्मेदार लोगों तक भेजा गया है।