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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी भाजपा का हंगामा

दिल्ली नगर निगम पर कब्जा बनाये रखने के लिए भाजपा इतनी बेचैन क्यों हैं, यह अभी राज है। इससे स्पष्ट होता जा रहा है कि दरअसल इसके पीछे सिर्फ राजनीति ही नहीं है। हो सकता है कि नई कमेटी के आने से कुछ ऐसे राजों पर से भी पर्दा हट जाए, जिसे अब तक संभाला गया है।

शायद यही वजह है कि मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होने के बाद भी भाजपा अब स्टैंडिंग कमेटी पर अपना कब्जा चाहती है। कल दिन से आज सुबह तक के घटनाक्रम तो यही बताते हैं कि अंततः इसका फैसला भी सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से ही शायद हो पायेगा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बेहद कड़ी सुरक्षा में चुनाव हुए और बुधवार दोपहर में राजधानी दिल्ली को आखिरकार मेयर मिल गया। आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय महापौर और आले मोहम्मद इकबाल उप-महापौर निर्वाचित हुए। ये नतीजे दोपहर में ही आ गए थे लेकिन एमसीडी सदन में आगे जो कुछ हुआ वह पहले कभी नहीं देखा गया।

तानाशाही नहीं चलेगी के नारे गूंजे. माइक तोड़ दिए गए. पार्षदों में हाथापाई देखने को मिली। एक दूसरे पर पानी और बोतलें फेंकी गईं। भाजपा और आप के बड़े नेता भी पार्षदों का मार्गदर्शन करने आ गए। पूरी रात इसी तरह कट गई लेकिन एमसीडी की स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव नहीं हो पाया।

मेयर भले ही एमसीडी का प्रमुख होता है लेकिन कई महत्वपूर्ण अधिकार स्थायी समिति के पास होते हैं और बिना उसकी मंजूरी के कामकाज अपने हिसाब से नहीं किया जा सकता। ऐसे में मेयर का चुनाव होते ही आम आदमी पार्टी और भाजपा ने स्टैंडिंग कमेटी के लिए पूरी ताकत झोंक दी।

महापौर और उप-महापौर का चुनाव हो चुका था। स्थायी समिति के छह सदस्यों के चुनाव के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ी। महापौर ने मतदान क्षेत्र में मोबाइल ले जाने की इजाजत दे दी। भाजपा ने विरोध किया। कुछ पार्षद वेल में आ गए और सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नारे गूंजने लगे।

महापौर ने कहा कि जिन सदस्यों के पास मतपत्र हैं वो आएं और तब वह फैसला लेंगी। भाजपा के पार्षदों ने ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। मेयर शैली ओबेरॉय ने चेतावनी दी कि जो भी पार्षद सदन में व्यवस्था नहीं बनाएंगे, उन्हें बाहर कर दिया जाएगा।

स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में नई अड़चन सामने आई। भाजपा पार्षद अड़ गए कि पहले जो 47 वोट पड़े थे, उसे रद्द किया जाए। हालांकि एमसीडी ने 250 बैलेट पेपर्स ही छपवाए थे। अगर 47 मतों को रद्द किया जाता तो वोटिंग के लिए नए बैलेट पेपर ही नहीं होते।

ऐसे में मेयर ने पहले पड़े वोट रद्द न करने का फैसला लिया। सदन में पार्षदों ने एक दूसरे पर बोतल अटैक कर दिया। चारों तरफ हंगामा और शोरगुल होता रहा। लोग इधर-उधर भाग रहे थे। पूरी तरह से स्थिति बेकाबू लगी। हाथापाई भी हुई। रात 12 बजे सदन को एक घंटे के लिए स्थगित किया गया।

पार्षद खाना खाने के लिए निकल गए। भाजपा की तरफ से विजेंद्र गुप्ता पार्षदों से मिलने और बातचीत करने लगे। उधर आम आदमी पार्टी की तरफ से राज्यसभा सांसद संजय सिंह आगे आए। भाजपा के नेता भी मूड बनाकर आए थे कि वे कहीं नहीं जाएंगे जिससे कोर्ट में यह न कहा जाए कि भाजपा के कारण चुनाव नहीं हो सका।

सुबह से आए पार्षद थक चुके थे। ऐसे में कुछ महिला पार्षद सदन में ही लेट गईं। कुछ पुरुष भी लेटे दिखे। भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि एक-एक घंटे के लिए सदन को स्थगित कर पार्षदों को प्रताड़ित किया जा रहा है। इससे अच्छा है कि कल दोपहर 2 बजे तक सदन को स्थगित कर दिया जाए और नए बैलट पेपर मंगवाकर नए सिरे से स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव कराया जाए। तब तक पार्षद भी फ्रेश हो जाएंगे।

हालांकि आप के सौरभ भारद्वाज ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि SC ने सदन की पहली बैठक में ही चुनाव कराने के लिए कहा है, इसलिए हम बैठक को टाल नहीं सकते। चुनाव तो आज होकर रहेगा। संजय सिंह ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है, उसका पालन होने दें।

कोर्ट के आदेशों का पालन होने तक हमारे सभी पार्षद सदन में मौजूद रहेंगे। हमने इनका जुल्म झेला है। ये आप के सिपाही हैं। पार्षदों का जोश बढ़ाने के लिए संजय सिंह ने गाना गाया- रुके ना जो, झुके ना जो, हम वो इंकलाब हैं, जुल्म का जवाब हैं।

तानाशाही पे दे झाड़ू के नारे गूंजे। कुल मिलाकर इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो देखने से साफ है कि बहुमत नहीं होने क बाद भी भाजपा स्टैडिंग कमेटी पर अपना कब्जा चाहती है। मेयर पद के पराजित प्रत्याशी की हरकत भी वीडियो में कैद हुई है। इसलिए समझना होगा कि अंदरखाने में कोई और बात भी है।

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