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कहां गायब हो रहे हैं राज्यसभा चुनाव के हॉर्स ट्रेडिंग के तमाम साक्ष्य

  • जगन्नाथपुर थाना में दर्ज है यह मामला

  • चुनाव आयोग के पत्र से दर्ज हुआ केस

  • योगेंद्र साव को बार बार गैरहाजिर दर्ज किया

राष्ट्रीय खबर

रांचीः राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग का मामला रफा दफा करने की पुरजोर कोशिश हो रही है। इस कांड में वरिष्ठ आईपीएस अनुराग गुप्ता और पूर्व मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार अभियुक्त थे।

उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक इस संबंध में गत 29 मार्च 2018 को स्थानीय जगन्नाथपुर थाना में सरकार के अवर सचिव अविनाश चंद्र ठाकुर की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। अब कैट से अपना मामला जीत चुके अनुराग गुप्ता वर्तमान में राज्य पुलिस में डीजी के पद पर हैं।

बीच में उन्हें ही राज्य में प्रभारी डीजीपी बनाने की चर्चा भी जोरों पर थी। इन सभी के बीच यह सवाल अचानक से गायब होता जा रहा है कि हॉर्स ट्रेडिंग मामले में चुनाव आयोग के निर्देश पर मजबूरी में दर्ज मामले की जांच में इतना कोताही कैसे बरती जा रही है।

इस बारे में याद दिला दें कि उस वक्त झारखंड विकास मोर्चा के नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इस संबंध में एक  सीडी जारी कर गंभीर आरोप लगाये थे। चूंकि चुनाव आयोग का पत्र आया था इसलिए मामला दायर हुआ लेकिन तभी से इसे दफन करने की कोशिश भी होने लगी थी।

घटना के वक्त अनुराग गुप्ता राज्य पुलिस की विशेष शाखा के अपर पुलिस महानिदेशक थे। विशेष शाखा भी एक अत्यंत संवेदनशील विभाग माना जाता है जबकि जमशेदपुर के विधायक सरयू राय ने गैर कानूनी तरीके से एक और फोन टैपिंग कार्यालय मुख्यमंत्री आवास के पास संचालित किये जाने की शिकायत की थी।

प्रारंभिक जांच में इस शिकायत को सही भी पाया गया था। दूसरी तरफ आरोप सार्वजनिक होने के बाद एनटीपीसी विवाद में पूर्व सरकार ने योगेंद्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी को किस तरीके से प्रताड़ित किया, यह भी जगजाहिर सत्य है।

पुलिस रिकार्ड में यह बात दर्ज है कि पूर्व विधायक निर्मला देवी ने अपने पास फोन आने तथा एक दिन बाद खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास के आने की बात कही थी। पुलिस रिकार्ड में यह तथ्य भी दर्ज है कि सरकार के दबाव में फोन रिकार्ड भी देने से मोबाइल कंपनियों ने इंकार कर दिया।

नियम के मुताबिक यह रिकार्ड होना चाहिए था लेकिन पुलिस ने यह बयान दर्ज किया कि सीडीआर मौजूद नहीं है। इससे साफ हो गया था कि मामले की लीपा पोती के लिए किस स्तर पर काम हो रहा था और मामले से संबंधित हर पक्ष को प्रभावित किया जा रहा था।

पुलिस द्वारा बार बार गिरफ्तार किये जा रहे योगेंद्र साव को पुलिस बयान के लिए उपलब्ध हाजिर नहीं होने की सूचना दर्ज कर रही थी जबकि सच्चाई क्या था, यह हर किसी की जानकारी में था।

अब अचानक पुलिस मुख्यालय में अनुराग गुप्ता का नाम डीजीपी के लिए चर्चा में आने की वजह से यह गड़ा मुर्दा फिर से उखड़ आया है। अनुमान है कि इस मुद्दे पर अपनी पूर्व की बात पर विधायक सरयू राय फिर से कोई रहस्योदघाटन कर सकते हैं, जिन्होंने अपनी सूचनाओं की वजह से ईडी को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।

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