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अमेरिका वनाम रूस होता जा रहा है यूक्रेन युद्ध

वाशिंगटनः अमेरिका के यूएस डिप्टी ट्रेजरी सेक्रेटरी वैली एडिमो ने अगले सप्ताह रूस और उसकी खुफिया सेवाओं को प्रतिबंधित करने संबंधी नोटिस देने की योजना बनायी है। अमेरिका यूक्रेन के युद्ध में रूसी कार्रवाइयों की निगरानी कर रहा है और नकेल कस रहा है।

दूसरी तरफ रूस ने पहले से ही यह आरोप लगा रखा है कि दरअसल इस युद्ध में पश्चिमी और अमेरिकी सैनिक युक्रेन की सेना बनकर भाग ले रहे हैं। रूस की नौसेना पर हुए कई बड़े हमलों में भी इन दूसरे देशों का हाथ रहा है। एडिमो ने इस बारे में कहा है कि  हमारी रणनीति का एक केंद्र बिंदु हमारे प्रतिबंधों से बचने के प्रयासों का मुकाबला करना होगा।

उनके मुताबिक अमेरिका यह जानता है कि रूस सक्रिय रूप से इन प्रतिबंधों को दरकिनार करने के तरीकों की तलाश कर रहा है। वास्तव में,  अमेरिकी प्रतिबंधों के काम करने के तरीकों में से एक यह है कि रूस ने अपनी खुफिया सेवाओं – एफएसबी और जीआरयू को उनसे बचने के तरीके खोजने का काम सौंपा है।

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की पहली बरसी से पहले यह टिप्पणी रूसी अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध छेड़ने की क्षमता को कम करने के लिए कुचलने वाले प्रतिबंधों को आगे बढ़ाने के अमेरिकी नेतृत्व के प्रयासों पर विचार करेगी। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब क्रेमलिन पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने के लिए तेजी से अपनी गुप्त सेवाओं की ओर रुख कर रहा है।

जब से रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू किया है, अमेरिका ने रूसी राजनेताओं, कुलीन वर्गों और कंपनियों के खिलाफ हजारों प्रतिबंध लगाए हैं। रूसी केंद्रीय बैंक को अपने डॉलर संबंधी वैश्विक कारोबार से अलग कर दिया गया है। साथ ही वैश्विक वित्तीय संदेश प्रणाली, रूस के रक्षा-औद्योगिक को कमजोर कर दिया है।

रूसी तेल और पेट्रोलियम उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। इन सभी प्रतिबंधों का असली मकसद रूस को कमजोर करना था। दूसरी तरफ अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन की सेना को सैनिक और मानवीय सहायता पहुंचा रहे हैं। लेकिन यूक्रेन को हथियार देने के इस प्रयास में अमेरिका और नाटो देशों का अपना हथियार भंडार खाली हो गया है। इसलिए वे भी अपना रक्षा भंडार पूरा करने में जुटे हैं। कुल मिलाकर यूक्रेन की मदद से दूसरे देशों पर जो प्रभाव पड़ा है वह अमेरिका सहित अन्य मददगार पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय है।

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