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सुप्रीम कोर्ट की अवमानना में फंस गयी है झारखंड सरकार

  • यूपीएससी की लिस्ट पहले से मंजूर है

  • शीर्ष अदालत में अंतिम तिथि 12 फरवरी

  • अब अवमानना में कौन अफसर फंसेगा यह देखना

राष्ट्रीय खबर

रांचीः झारखंड सरकार अपने फैसले की देर से सुप्रीम कोर्ट की अवमानना में फंस चुकी है। दूसरी तरफ पूर्व डीजीपी के सेवानिवृत्त होने के बाद इतनी देर से निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि यूपीएससी से स्वीकृत सूची से बाहर किसी को प्रभार देने की मंशा पर कई अफसर काम कर रहे हैं।

वैसे इस कोशिश को अमली जामा पहनाया जा सकेगा अथवा नहीं, इसमें अभी संशय है। पुलिस मुख्यालय में भी यह चर्चा अब आम हो चुकी है कि दरअसल सरकार अनुराग गुप्ता को राज्य का डीजीपी बनाना चाहती है। इसके लिए कुछ अधिकारी लगातार सक्रिय हैं। लेकिन दिक्कत इस बात की है कि यूपीएससी ने जो सूची स्वीकृत की थी, उसमें अनुराग गुप्ता का नाम नहीं है।

इस बीच याद दिला दें कि 16 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलील को स्वीकार करते हुए याचिका संख्या 310, 1996 तथा अवमानना वाद संख्या 403-2021 में अपना फैसला सुनाया था।

इसमें कपिल सिब्बल की जिस दलील को स्वीकारा गया था, उसमें राज्य सरकार की तरफ से बहस में भाग लेते हुए श्री सिब्बल ने अदालत को बताया था कि 12 फरवरी 2023 तक इस मामले का निष्पादन कर नये डीजीपी की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।

अब एक दिन बीतने के बाद अदालत के आदेश के अंतिम पैरा के मुताबिक अवमानना का मामला बन गया है क्योंकि अब तक डीजीपी की अधिसूचना जारी नहीं की गयी है।

इसमें हो रहे विलंब के कारण पुलिस मुख्यालय में यह चर्चा है कि दरअसल सरकार यूपीएससी की सूची में शामिल अजय भटनागर, अनिल पाल्टा और अजय सिंह को डीजीपी नहीं बनाना चाहती है। नीरज सिन्हा के रिटायर होने के बाद अचानक से इस रेस में अनुराग गुप्ता का नाम आ गया है।

लेकिन जानकार मानते हैं कि अदालत का डंडा सर पर होने की वजह से पूर्व में यूपीएससी द्वारा स्वीकृत सूची को अस्वीकार करना आसान काम नहीं होगा। ऐसी स्थिति में फैसला लेने वाले अधिकारियों को भी सुप्रीम कोर्ट में खड़ा होना पड़ सकता है। इस वजह से यह पेंच फंसा हुआ है।

यह स्थिति राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है। पड़ोसी राज्य बिहार में नये डीजीपी के नाम का एलान डीजीपी के रिटायर होने के पहले ही कर दिया गया था। इसके बाद भी कई बार से झारखंड में यही हालत बने हुए हैं।

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