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नयी नियोजन नीति को लेकर सरकार गंभीर

  • कई बार पचड़े में फंस चुका है यह मामला

  • हाई कोर्ट ने भी खारिज की थी पहली नीति

  • सीएम फोन कर उम्मीदवारों से ले रहे सलाह

राष्ट्रीय खबर

रांची: झारखंड सरकार नयी नियोजन नीति को लेकर गंभीर है। समझा जा रहा है कि आगामी 27 फरवरी से शुरू हो रहे झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में इस बाबत विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है। इससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उम्मीदवारों से फोन कर नियुक्ति प्रक्रिया पर अलग अलग सलाह ले रहे हैं।

मुख्यमंत्री की आवाज में कई उम्मीदवारों को कॉल आ चुके हैं। जिसमें यह पूछा गया है कि नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू करने के लिए क्या किया जाये। वे उम्मीदवारों को विकल्प भी दे रहे हैं।  इस तरह के कॉल आने के बाद से राज्य के बेरोजगारों के बीच उम्मीद जगी है। राज्य के युवाओं के बीच सीएम का कॉल आना चर्चा का विषय बना हुआ है।

गौरतलब है कि दो महीने पहले झारखंड हाई कोर्ट ने नियोजन नीति को रद्द कर दिया था। इसके बाद सरकार ने यह घोषणा की थी कि वह दो महीने के भीतर नयी नियोजन नीति लाएगी। नियोजन नीति के झारखंड हाई कोर्ट से खारिज हो जाने के बाद राज्य सरकार इसको लेकर अब बहुत सोच समझकर कदम उठा रही है।

पूर्व में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने यह घोषणा की थी कि बजट सत्र तक सरकार नयी नियोजन नीति की घोषणा कर देगी। सरकार की यह मंशा भी है कि झारखंड के युवाओं के हित में जल्द से जल्द नयी नियोजन नीति लायी जाये ताकि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके।

पूर्व के अनुभवों से सीख लेते हुए इस बार हेमंत सोरेन की सरकार फूंक फूंककर कदम रखना चाहती है ताकि फिर से कोई कानूनी विवाद ना खड़ा हो। इसलिए उम्मीदवारों से सीधे कॉल कर सलाह ली जा रही है कि क्या किया जाए? दरअसल सीएम की आवाज में एक रिकॉर्डेड कॉल आता है।

यह कॉल आने से पहले उम्मीदवारों को एक मैसेज •ोजा जाता है। यह मैसेज इइ-600025 से आता है। जिसमें लिखा होता है : जोहार। माननीय मुख्यमंत्री जी आपसे नियोजन नीति एवं नियुक्ति प्रक्रिया पर आपकी राय जानना चाहते हैं। इस विषय पर कुछ ही समय के बाद आपको कॉल किया जाएगा। धन्यवाद। जोहार।

यह मैसेज आने के बाद कॉल आता है : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की आवाज में बताया जाता है कि सरकार नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करना चाहती है पर नियोजन नीति के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना चाहती है। हमें क्या करना चाहिए 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को नौवीं अनुसूची में शामिल होने का इंतजार करें या 2016 की नियोजन नीति के आधार पर नियुक्ति की जाए।

जानकारी के अनुसार सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र को ध्यान में रखकर जल्द से जल्द नियोजन नीति लागू करने की पक्षधर है। सरकार में शामिल प्रमुख सहयोगी दल कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री पर जल्द-से-जल्द नियोजन नीति लागू करने का दवाब बनाया है।

जानकारों का कहना है कि 1932 के आधार पर स्थानीय नीति बनाकर नियोजन की प्रक्रिया शुरू करने में समय लग सकता है। गौरतलब है कि अगले वर्ष झारखंड में विधानसभा का चुनाव भी होना है। सरकार चाहती है कि चुनाव से पहले विपक्ष नियुक्ति को मुद्दा बनाए, उसका काट तैयार कर लेना है।

बताया जा रहा है कि वर्ष 2016 के नियोजन नीति में आंशिक संशोधन कर सरकार सदन में नयी नियोजन नीति लाये। इस बार सरकार नियोजन नीति में कोई बखेड़ा नहीं चाहती है। जानकारी यह भी मिल रही है कि बजट सत्र में नयी नियोजन नीति को पारित कराकर सरकार नियुक्ति प्रक्रिया तेज  करेगी।

मालूम हो कि झारखंड हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने 16 दिसंबर 2022 को झारखंड सरकार की नियोजन नीति को रद्द कर दिया था।

इससे पहले खंडपीठ ने सात सितंबर 2022 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा था कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन संशोधन नियमावली-2021 असंवैधानिक है।

यह नियमावली भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 व 16 के प्रावधानों का उल्लंघन है। सरकार की यह नियमावली संवैधानिक प्रावधानों पर खरी नहीं उतरती है, इसलिए इसे निरस्त किया जाता है। साथ ही इस नियमावली से की गयी सभी नियुक्तियों व चल रही नियुक्ति प्रक्रिया को भी रद्द किया जाता है।

दूसरी तरफ इस नीति के नहीं होने से बहाली में भ्रष्टाचार भी हुआ है। नवगठित राज्य झारखंड की विधानसभा से सभी विभागों में दूसरे राज्यों के निवासियों को चोर दरवाजे से मिली नौकरी स्थानीय लोगों के लिए आक्रोश का एक स्थायी विषय बना हुआ है। दरअसल अलग झारखंड राज्य का आंदोलन भी इसी मांग और क्षेत्रीय उपेक्षा तथा शोषण की वजह से लंबे समय से चलता रहा है।

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