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ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे .. .. ..

ये दोस्ती कहीं भाजपा पर ही भारी ना पड़ जाए। इस बार भाजपा के प्रचारित पप्पू ने जो सवाल किया है, उसका जबाव भाजपा के किसी नेता को देते नहीं बन रहा है। लोकसभा में राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपनी बात रखते हुए सीधे सीधे सवाल पूछ थे। जाहिर है कि यह तीर निशाने पर जा लगा है और बाद में मोदी जी ने अपने भाषण में इन सवालों का उत्तर देने के बदले पिछली सरकारों के कार्यकाल पर सवाल उठा दिये।

लेकिन भइया यह फार्मूला क्या है जिससे अडाणी जी की संपत्ति में दूसरों के मुकाबले इतना ज्यादा इजाफा हो गया। बिना किसी लाग लपेट के कहा जाए तो मोदी जी और गौतम अडाणी के रिश्तों की बात हो रही है। इस मामले की जांच के लिए जेपीसी गठित करने में भी भाजपा को परेशानी इसलिए है क्योंकि उससे गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी का मामला भी आयेगा। यह मसला इस बार च्युईंगगम की तरह चिपक गया है। अब तो धीरे धीरे पूरा मामला ही प्याज की तरह परत दर परत खुल रहा है और पता चल रहा है कि सिर्फ मोदी ही नहीं अमित शाह भी उनके बहुत करीबी दोस्त रहे हैं।

अडाणी बम फोड़ने वाली कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की नींव इंटनैशनल बिजनेस मैनेजमेंट में ग्रैजुएशन करने वाले नाथन एंडरसन ने रखी थी, साल 2017 में। फर्म को एक मशहूर जर्मन एयरशिप- हिंडनबर्ग का नाम दिया गया। 1937 में हाइड्रोजन गैस से चलने वाले गुब्बारेनुमा वायुयान हिंडनबर्ग में आग लगने से 35 लोगों की मौत हुई थी। इसे मानव निर्मित त्रासदी बताया गया था क्योंकि अत्यधिक ज्वलनशील गैस से चलने वाले यान में 100 लोगों को बिठा दिया गया था।

इसके 80 साल बाद वित्तीय मामलों पर रिसर्च करने वाली कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की शुरुआत हुई। इसका मकसद था दुनिया की बड़ी कंपनियों में गडबड़ियों यानी मानव निर्मित त्रासदियों का पता लगाना। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के जवाब में अडानी ग्रुप ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट पब्लिश करने से पहले न तो उससे संपर्क करने की कोशिश की और न ही तथ्यों को वेरिफाई किया।

आरोप और जवाब के बीच अडानी ग्रुप का कंबाइंड मार्केट कैपिटलाइजेशन 96 हजार 672 करोड़ रुपये घटकर 18.23 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के बारे में 24 जनवरी को जो रिपोर्ट दी, उसमें उसने मोटे तौर पर हा है कि  अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर बहुत महंगे हैं। इनका वैल्यूएशन आसमान पर है।

इसलिए फंडामेंटल एनालिसिस के हिसाब से इनमें 85 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। शेयर बाजार में लिस्टेड अडानी ग्रुप की प्रमुख कंपनियों पर काफी कर्ज है। आसमान छूते वैल्यूएशन वाले इन शेयरों को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया है, जिससे पूरे ग्रुप की वित्तीय स्थिति मुश्किल में पड़ सकती है।

ग्रुप की 7 अहम लिस्टेड कंपनियों में से 5 का करंट रेशियो 1 से कम है, जिससे शॉर्ट टर्म में कंपनी को कैश फ्लो के मामले में दिक्कत हो सकती है। अडानी ग्रुप में 22 अहम पदों में से 8 पर गौतम अडानी के परिवार के सदस्य बैठे हुए हैं।

गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश पर डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने 2004-2005 में डायमंड ट्रेडिंग में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। उन्हें दो बार टैक्स चोरी, फर्जी दस्तावेज जमा कराने और अवैध कोयला आयात के आरोपों में अरेस्ट किया जा चुका है।

फिर उन्हें अडानी ग्रुप का मैनेजिंग डायरेक्टर क्यों बनाया गया। गौतम अडानी के रिश्तेदार समीर वोरा पर भी डायमंड स्कैम में शामिल होने का आरोप लग चुका है। आज वह ग्रुप की ऑस्ट्रेलिया डिविजन के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर हैं। इसी बात पर सुपर हिट फिल्म शोले का सुपरहिट गीत याद आ रहा है। इस गीत को लिखा था आनंद बक्षी ने और संगीत में ढाला था राहुल देव वर्मन ने। इसे किशोर कुमार और मन्ना डे ने अपना स्वर दिया था। पर्दे पर इसे अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र पर फिल्माया गया था। गीत के बोल कुछ इस तरह हैं।

ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे

तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोडेंगे

ऐ मेरी जीत तेरी जीत तेरी हार मेरी हार

सुन ऐ मेरे यार

तेरा ग़म मेरा ग़म तेरी जान मेरी जान

ऐसा अपना प्यार

खाना पीना साथ है, मरना जीना साथ है

खाना पीना साथ है, मरना जीना साथ है

सारी ज़िन्दगी

ये दोस्ती …

लोगों को आते हैं दो नज़र हम मगर

ऐसा तो नहीं

हों जुदा या ख़फ़ा ऐ खुदा दे दुआ

ऐसा हो नहीं

ज़ान पर भी खेलेंगे तेरे लिये ले लेंगे

ज़ान पर भी खेलेंगे तेरे लिये ले लेंगे

सबसे दुश्मनी

ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे

तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे

अब दोस्ती निभाने में मोदी जी कहां तक का खतरा उठायेंगे, यह देखने वाली बात होगी। वैसे पार्टी की नैय्या इस वजह से अगर डूबती नजर आये तो हो सकता है कि भाजपा के दूसरे लोग अडाणी के साथ साथ मोदी से भी पल्ला झाड़ने की जुगाड़ लगायेंगे।

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