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लोगों के विरोध के कारण पेरु में चीनी खदान बंद

लीमाः पेरू में कार्यरत चीनी कंपनी को अपना खनन बंद करना पड़ा है। चीन की कंपनी एमएमजी लिमिटेड ने कहा है कि पिछले दो महीने से वहां जारी राजनीतिक अस्थिरता की वजह से देश के सबसे बड़े तांबा खदान को बुधवार से पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा।

वैसे भी पेरू में पूर्व राष्ट्रपति पेड्रो कास्टिलो पर महाभियोग चलाने के बाद उन्हें पद से हटाये जाने के बाद देश की हालत डांवाडोल चल रही है। चीन की इस कंपनी का मुख्यालय हॉंगकॉंग में है।

कंपनी की तरफ से अब घोषणा की गयी है कि खनन कार्य जारी रखने लायक माहौल नहीं होने की वजह से अब खदान को स्थायी तौर पर बंद करने का निर्णय लेना पड़ा है।

वैसे भी कई स्थानों पर लगातार सड़कों पर अवरोध होने की वजह से कच्चे माल की भारी कमी हो गी है। इस फैसले से देश के तीस प्रतिशत तांबा उत्पादन पर संकट के बादल गहरा गये हैं।

जाहिर सी बात है कि इसका कुप्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। वैसे इतने बड़े खदान के बंद होने के पूरी दुनिया में भी तांबा उत्पादन में कमी से आर्थिक अस्थिरता का माहौल बनेगा, यह तय है।

सिर्फ आंदोलन जारी रहने और खदान के बंद होने के दौरान ही आस पास के देशों में तांबा की कीमतों में दस प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो चुकी है।

इस बीच एमएमजी कंपनी के शेयरों के भाव भी हॉंगकॉंग में 6.4 प्रतिशत गिर गये हैं। चीनी सरकार द्वारा नियंत्रित चाइना मिनमेटर कॉप्स के इस कंपनी ने लॉस बंबास में अपना उत्पादन पहले ही कम कर दिया था। खदान में सिर्फ बीस प्रतिशत उत्पादन हो रहा था।

अब खदान के पूरी तरह बंद होने के साथ साथ पेरू के अन्य चांदी, जस्ता और टीन के खदानों के भविष्य पर भी प्रश्नचिह्न लगा गया है। वर्ष 2016 से चालू होने वाले इस खदान को हमेशा ही जनता के विरोध का सामना करना पड़ा है।

इस वजह से खदान का माल बंदरगाहों के रास्ते अन्यत्र नहीं भेजा जा सका है। पिछले साल ही यहां का उत्पादन तीस प्रतिशत पर आ गया था क्योंकि स्थानीय लोग इस खदान का लगातार विरोध करते आ रहे थे। अब भी खदान को लगातार 50 दिनों तक बंद करना पड़ा था।

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