भाजपा पार्षदों के हंगामे के बहाने बैठक स्थगित
फिर अनिश्चितकाल के लिए टाला गया दिल्ली के मेयर का चुनाव

-
मनोनित पार्षदों को पहले शपथ दिलाने पर हंगामा
-
जिन्हें वोट का अधिकार नहीं उन्हें बाहर करने की मांग
-
फौजी छावनी में तब्दील कर दिया गया था इस स्थान को
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः दिल्ली नगर निगम का सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। जिसके साथ ही एक बार फिर से मेयर चुनाव नहीं हो सका है। आज मनोनित पार्षदों को पहले शपथ दिलाये जाने के वक्त ही साफ हो गया था कि इस बार भी शायद चुनाव नहीं हो पायेगा।
दोनों तरफ के आरोप प्रत्यारोप के बीच सदन का माहौल गरमाता चला गया। लेकिन यह स्पष्ट था कि संख्याबल के आधार पर चुनाव में आप की प्रत्याशी का पलड़ा स्पष्ट तौर पर भारी था। लेकिन
भाजपा पार्षदों के लगातार हंगामे के चलते सदन को स्थगित किया गया है। आज दिल्ली नगर निगम के मेयर, डिप्टी मेयर और सदन से स्थायी समिति के 6 सदस्यों के प्रतिष्ठित पदों के लिए चुनाव थे। दिल्ली नगर निगम चुनाव में सभी 250 निर्वाचित पार्षदों की शपथ थोड़ी देर पहले ही पूरी हुई थी।
शपथ के बाद आम आदमी पार्टी के पार्षद मुकेश गोयल ने कहा था कि जो लोग वोट डालने के पात्र नहीं है, उनको सदन के बाहर बैठाया जाए। उनकी इसी बात पर माहौल गरमाने लगा क्योंकि जिनलोगों को उप राज्यपाल ने मनोनित किया है, वे सभी भाजपा समर्थक हैं।
इस कारण हंगामा प्रारंभ हो गया और इसी हंगामे के बहाने सदन को ही स्थगित करना पड़ा। चुनाव के मद्देनज़र एमसीडी मुख्यालय के सिविक सेंटर में सुरक्षाबल तैनात किए गए थे। दरअसल पिछली बार परंपरा के विरुद्ध जाते हुए प्रोटेम स्पीकर सत्या शर्मा ने सबसे पहले मनोनीत पार्षदों को शपथ दिलवानी शुरू की थी और इसी को लेकर बवाल हो गया था।
जिसके चलते दिल्ली नगर निगम का सदन स्थगित करना पड़ा था। इस चुनाव में सभी 250 निर्वाचित पार्षद, 14 दिल्ली के विधायक और 10 दिल्ली के सांसद वोट डाल सकेंगे। मेयर पद के प्रत्याशियों में शैली ओबरॉय और आशु ठाकुर (आप) तथा रेखा गुप्ता (भाजपा) शामिल हैं।
ओबरॉय आप की मुख्य दावेदार हैं। डिप्टी मेयर पद के प्रत्याशियों में आले मोहम्मद इकबाल और जलज कुमार (आप) तथा कमल बागड़ी (भाजपा) शामिल हैं। कांग्रेस ने आज होने वाले मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी सदस्यों के चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया था।
जबकि दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस के 9 पार्षद हैं। बता दें एमसीडी के चुनाव चार दिसंबर को हुए थे और मतगणना सात दिसंबर को हुई थी। आप ने 134 वार्ड जीतकर एमसीडी में भाजपा के 15 साल के शासन को खत्म कर दिया।
विधि विशेषज्ञ रजनी अब्बी 2011 में एमसीडी के तीन भागों में बंटने से पहले मेयर थीं। 2012 में निगम को तीन अलग-अलग नागरिक निकायों – उत्तर (104 वार्ड) , दक्षिण (104 वार्ड) और पूर्वी (64 वार्ड) नगर निगमों में बांट दिया गया। इनमें से हर एक का अपना मेयर था।
बीते साल तीनों का एकीकरण हुआ, जब केंद्र ने उन्हें एकजुट करने के लिए एक कानून लाया था। इसने वार्डों की कुल संख्या को 272 से घटाकर 250 कर दिया। एकीकरण के बाद, निकाय चुनाव 4 दिसंबर को हुए और वोटों की गिनती 7 दिसंबर को हुई।
आम आदमी पार्टी ने 134 वार्ड जीतकर चुनाव जीता और 15 साल से एमसीडी में शासन कर रही भाजपा को हरा दिया। इस चुनाव में भाजपा को 104 वार्डों में जीतकर मिलीं, जबकि कांग्रेस सिर्फ नौ सीटों पर जीत हासिल कर सकी।