सेंट पीटर्सबर्गः रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि रूस ने काफी दिनों तक धैर्य रखने के बाद ही कार्रवाई की है। वरना जिस समस्या को दूर करने के लिए अभी अभियान चलाया जा रहा है, वह वर्ष 2014 मे ही पूरा किया जा सकता था।
उस समंय से लगातार रूस यूक्रेन की गड़बड़ियों को सहन करता आ रहा था लेकिन सहने की भी एक सीमा होती है। यूक्रेन ने रूस को अपमानित और उकसाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा। इसलिए अब रूस ने अपना इलाका उससे वापस ले लिया है।
पुतिन का यह बयान उस मौके पर आया है जब पश्चिमी दुनिया के सैन्य विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि यूक्रेन में पराजय का खतरा पुतिन नहीं उठा सकते हैं। विशेषज्ञों ने इस बात की भी आशंका जतायी है कि यूक्रेन में रूसी सेना के पराजित होने की स्थिति में परमाणु हमला भी हो सकता है।
रूस के राष्ट्रपति ने सेना के सेवानिवृत्त अधिकारियों के साथ बैठक में इस बारे में फिर से अपना बयान दोहराया है। उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों को लेकर विवाद था और रूस ने बार बार यूक्रेन से इसे सुलझाने को कहा था। उन्होंने यह भी कहा कि शांति और धैर्य के साथ वार्ता के जरिए समस्या का समाधान करने की रूसी पहल को यूक्रेन की सरकार ने गलत मान लिया था।
वरना डॉनबॉस के इलाके में तो वर्ष 2014 से ही आजादी की मांग के समर्थन में आंदोलन चल रहा था, यह हर किसी की जानकारी में है। दूसरी तरफ यूक्रेन की तरफ से इन इलाकों में भारी हथियार, तोपखाना, टैंक और हवाई हमलों के बाद भी आंदोलन जारी रखा है।
इस बारे में यूक्रेन तथा उसके समर्थक देश बोलने से कतराते हैं। इसलिए रूस ने अपने लोगों को बचाने के लिए यह ऑपरेशन चला रखा है। यानी अपने बयान के माध्यम से पुतिन ने यह स्पष्ट कर दिया कि रूस के लिए यह युद्ध नहीं है।
वैसे भी पुतिन ने पहले भी कहा था कि युद्ध अभी प्रारंभ कहां हुआ है। शांतिपूर्ण समाधान के प्रयासों को रूस की कमजोरी समझते रहने की वजह से अब रूस को मजबूरी में ऐसा कदम उठाना पड़ा है ताकि रूस के अपने लोगों की सुरक्षा हो सके।