राष्ट्रीय खबर
रांचीः झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेम्ब्रम की नाराजगी फिर से उजागर हुई है। इस बार उन्होंने गंभीर बयान देते हुए कहा है कि सरकार जनता को झुनझुना दिखा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि गुरुजी ने जिस बिहार के शोषण से इलाके को मुक्त कराने के लिए लंबे समय तक आंदोलन किया, उन बातों पर अब हेमंत की सरकार ही कोई ध्यान नहीं दे रही है।
लोबिन हेम्ब्रम का बयान आने के तुरंत बाद पार्टी के नेता सुप्रीम भट्टाचार्य ने मामला संभालने का काम किया। उन्होंने कहा कि लोबिन दा का बयान पार्टी का नजरिया नहीं है। इस तरह अपने ही विधायक के बयान से झामुमो ने तुरंत ही कन्नी काट लिया है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि उनका अपना स्टैंड, नजरिया कुछ हो सकता है पर इसे पार्टी का नजरिया नहीं कहा जा सकता।
झारखंड में लागू सीएनटी, एसपीटी और पेसा कानून जैसे से मामलों को लेकर और 1932 के खतियान को झारखंड में लागू कराने जैसी मांग को लेकर विधायक लोबिन हेंब्रम के नेतृत्व में 53 संगठनों के द्वारा एक संयुक्त मोर्चा बनाया गया है। इस मोर्चे का नाम झारखंड बचाओ मोर्चा है।
इस मोर्चा के तहत रविवार को लातेहार में प्रमंडल स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में विधायक लोबिन हेंब्रम समेत अन्य वक्ताओं ने वर्तमा न सरकार पर सवाल खड़े किये। लोबिन ने कहा कि सरकार ने चुनाव से पूर्व जनता से जो वादे किए थे, उन वादों को पूरा करने में अब तक असफल है। इन्हीं मुद्दों को लेकर सरकार को आइना दिखाने के लिए अब जनता को जागरूक होने की जरूरत है।
श्री हेम्ब्रम ने कहा कि झारखंड राज्य भले ही बिहार से अलग हो गया, लेकिन आज तक बिहार झारखंड से अलग नहीं हो पाया। झारखंड का निर्माण जिस उद्देश्य के साथ हुआ था, उसे पूरा करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है। झारखंड और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों का गठन एक साथ हुआ था, लेकिन छत्तीसगढ़ में पेसा कानून लागू कर दिया गया, जबकि झारखंड में इस कानून को लेकर अभी तक किसी प्रकार की कोई गतिविधि भी आरंभ नहीं हुई।
1932 का खतियान लागू करने के लिए वर्तमा न की सरकार ने अपने घोषणा पत्र में कहा था। लेकिन लोगों को मात्र झुनझुना दिखाने के लिए 1932 का खतियान लागू करने की बात कही गई। सरकार की मंशा साफ नहीं रहने के कारण 1932 का खतियान राज्य में लागू नहीं हो सका है।
लोबिन ने कहा कि झारखंड में आज भी पलायन जारी है। इसकी वजह रोजगार का नहीं मिलना है। हमने सरकार से राज्य में स्थानीयता के लिए 1932 का खतियान लागू करने की मांग की थी। समाज में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि 1932 का खतियान किसी एक समुदाय के लिए है। ऐसा थोड़े होता है। कोई भी कानून बनता है तो सभी समुदाय को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। 1932 का खतियान सिर्फ एक समुदाय की जागीर नहीं है।
झारखंड के जो भी मूल निवासी हैं, वह चाहे किसी भी जाति धर्म के रहे, उन्हें 1932 के खतियान होने के बाद तृतीय और चतुर्थ वर्ग की सरकारी नौकरी में लाभ मिल पाएगा। हमारी मांग भी यही है कि यहां के मूल निवासी को झारखंड में भी तीसरे और चतुर्थ वर्ग की नौकरी में प्राथमिकता मिले। सरकार की कमजोर इच्छाशक्ति के कारण यह मांग भी पूरी नहीं हो पा रही है।