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पर्यावरण संरक्षण की दिशा में केंद्र का फैसला

देश में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 19,744 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी गई। ‘राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ नामक इस योजना से वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के देश के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में ग्रीन हाउस गैसों, विशेष रूप से कार्बन के उत्सर्जन में कटौती को सुनिश्चित करने वाले फैसले को मंजूरी दी गई। प्रधानमंत्री ने साल 2021 के स्वतंत्रता दिवस पर इस मिशन की घोषणा थी।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को कहा, भारत का लक्ष्य 2030 तक प्रतिवर्ष 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है। इस प्रोत्साहन योजना से इसके दाम को भी कम करने में मदद मिलेगी। दुनियाभर में देश की साख भी बढ़ेगी। केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने कहा कि इस मिशन के जरिये हम भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात में ग्लोबल हब बनाना चाहते हैं।

इसके लिए, जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर एक ही जगह उपलब्ध कराने की योजना है जिससे इसके उत्पादक और उपभोक्ता पर ट्रांसपोर्टेशन का अतिरिक्त भार न पड़े। इस अभियान के जरिये भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही कई क्षेत्रों को कार्बन मुक्त करने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा दूरदर्शन व ऑल इंडिया रेडियो के  नए स्टूडियो, नई ओबी वैन और डीटीएच प्लेटफार्म की क्षमता को बढ़ाने के लिए भी कैबिनेट ने 2500 करोड़ मंजूर किए।

सतत विकास और हमारे युवाओं के लिए निवेश के अवसर पैदा करने की दिशा में हाइड्रोजन मिशन ऐतिहासिक कदम है। अनुराग ठाकुर ने कहा, इस महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी देने से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के क्षेत्र में आठ लाख करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है। इससे 2030 तक इस क्षेत्र में छह लाख रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के जीवाश्म ईंधन में भी कमी आएगी, क्योंकि ग्रीन हाइड्रोजन का ऊर्जा के स्रोत के रूप में इस्तेमाल होगा। पांच करोड़ टन ग्रीन हाउस उत्सर्जन को कम किया जाएगा। इसके जरिये 60-100 गीगावाट की इलेक्ट्रोलाइजर क्षमता को तैयार किया जाएगा। ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर 17,490 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, ग्रीन हाइड्रोजन हब को विकसित करने के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान है।

मंत्रिमंडल के अन्य़ फैसलों को बारे में केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने कहा कि प्रसार भारती के प्रसारण ढांचे और नेटवर्क को अपग्रेड करने के लिए, आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने दूरदर्शन व ऑल इंडिया रेडियो के लिए 2,539.61 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है। इनकी सुविधाओं को अत्याधुनिक किया जाएगा। ठाकुर ने कहा, पुराने सिस्टम को एचडी के अनुकूल बनाया जाएगा, इसका डिजिटल अपग्रेडेशन किया जाएगा। इस धन से आने वाले दो दशकों तक के लिए प्रसार भारती और उससे जुड़ी सेवाओं के आधारभूत ढांचे का आधुनिकीकरण किया जाएगा। कैबिनेट ने गोवा एयरपोर्ट का नाम बदलकर मनोहर इंटरनेशनल एयरपोर्ट मोपा के रूप में करने की मंजूरी दे दी है। पूर्व रक्षा मंत्री एवं चार बार गोवा के सीएम रहे मनोहर परिकर को श्रद्धांजलि देते हुए यह फैसला किया गया है। प्रधानमंत्री ने पिछले महीने ही इस हवाईअड्डे का उद्घाटन किया था। अनुराग ठाकुर ने बताया कि कैबिनेट ने हिमाचल प्रदेश में शिमला-मंडी जिले में सतलुज नदी पर सुन्नी बांध जल विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए 2,614 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। परियोजना से 382 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। इसमें से राज्य को 13 फीसदी बिजली मुफ्त मिलेगी। इस परियोजना का निर्माण सरकारी कंपनी सतलुज जल विद्युत निगम की ओर से किया जाएगा। इस परियोजना से राज्य में करीब चार हजार प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।  सरकार के इस पर्यावरण अनुकूल वातावरण बनाने के फैसले के बीच ही केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अब देश में हाईड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का संचालन इसी साल प्रारंभ करने की बात कही है। दुनिया के कई देशों में यह प्रारंभ हो चुका है और भारत में इसे अपनी स्वदेशी तकनीक के आधार पर विकसित किया जा रहा है। यह अपने आप में बड़ी बात है। समझा जा सकता है कि इस तकनीक के विकसित होने पर भारत इस आधार पर तकनीक आधारित रेलगाड़ियों का निर्यात भी कर सकता है क्योंकि तीसरी दुनिया के देशों के लिए प्रदूषण की रोकथाम जरूरी है और भारतीय व्यवस्था उनके लिए किफायती साबित होती है। कोरोना वैक्सिन के दौरान भी भारत ने उन देशों तक अपनी पहुंच बनायी है जो भारतीय दवा कारोबार के बारे में जानते भी नहीं थे। यह अलग बात है कि गांबिया और उजबेकिस्तान में भारतीय कंपनी की दवा से बच्चों की मौत के मामले से भारतीय साख को धक्का पहुंचा है। लेकिन उसकी सच्चाई क्या है, यह अब तक सामने नहीं आयी है। इसलिए हाइड्रोजन आधारित व्यवस्थाओँ को बढ़ावा देने का यह केंद्र का फैसला सराहनीय है।

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