झारखंडराजनीति

स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति पर भाजपा ने फिर विरोध दर्ज कराया

प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को खुला पत्र भेजा

  • पहले मुख्यमंत्री मरांडी की सरकार के फैसलों का हवाला दिया

  • रघुवर दास की नीतियों को इस सरकार ने खारिज किया है

  • अदालत के फैसले के बाद विधि सम्मत समीक्षा करना चाहिए

राष्ट्रीय खबर

रांचीः भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने स्थानीय एवं नियोजन नीति पर राज्यपाल के जरिए केंद्र को सिफारिश भेजने के प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजा है, जिसे मीडिया के लिए भी जारी किया गया है।

इस पत्र में श्री प्रकाश ने लिखा है कि सीएम के नेतृत्व में महामहिम राज्यपाल से मुलाकात हेतु 20दिसंबर 2022को अपराह्न 3बजे जा  रहे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में मेरे दल के दो प्रतिनिधियों को नामित करने के संबंध में है,मुझे प्राप्त हुआ। आपने पत्र में यह उल्लेख किया है कि यह प्रतिनिधिमंडल  विगत 11नवंबर 2022को झारखंड विधानसभा से पारित 1932खतियान आधारित स्थानीय नीति एवम नियोजन नीति विधेयक को महामहिम राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजते हुए संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध करेगा।

श्री प्रकाश ने लिखा है कि नवगठित झारखंड राज्य की पहली सरकार ने श्री बाबूलाल मरांडी जी के नेतृत्व में वर्ष 2001में खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति को लागू किया था जिसे उच्च न्यायालय ने निरस्त करते हुए समीक्षा के निर्देश दिए थे।  बाद में  निवर्तमान मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास जी के नेतृत्व में नियोजन नीति बनाई गई जो आपकी सरकार के द्वारा निरस्त किए जाने तक लागू रही।

आपकी सरकार के द्वारा वर्ष  2021 में लाई गई नियोजन नीति को विगत 16  दिसंबर2022 को झारखंड उच्च न्यायालय ने फिर एकबार रद्द कर दिया है जो हिंदी ,अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता समाप्त करने तथा 10वीं 12वीं परीक्षा राज्य के विद्यालयों से उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता से संबंधित विसंगतियों से परिपूर्ण था।

आज राज्य की नियोजन नीति न्यायालय के विचाराधीन है। ऐसी परिस्थितियों में राज्य के बेरोजगार युवाओं का भविष्य चौराहे पर खड़ा है,अंधकारमय है। इधर आपने विधानसभा से पारित 1932के खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति को 9वीं अनुसूची में शामिल  कराने का प्रस्ताव महामहिम राज्यपाल को भेजा है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा  वर्ष 2007मेंआई आर कोएल्हो मामले में यह स्पष्ट किया गया है कि 9वीं अनुसूची में शामिल विषयों की भी समीक्षा हो सकती है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति को 9वीं अनुसूची में शामिल कराने की बात करना न सिर्फ अपनी जिम्मेवारियों से भागने जैसा बल्कि  झारखंड के लाखों बेरोजगार नौजवानों के भविष्य को अंधकार में धकेलने जैसा होगा।

आज राज्य सरकार को सस्ती लोकप्रियता केलिए नही बल्कि दूरदर्शी सोच के साथ युवाओं के उज्ज्वल भविष्य को संवारने केलिए विधि सम्मत निर्णय लेना चाहिए। आज माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक अवसर प्रदान किया है। राज्य सरकार माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार एक बार पुनः खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति की विधि सम्मत समीक्षा करे। भारतीय जनता पार्टी राज्यहित में जनभावनाओं के अनुरूप सरकार को सहयोग करने केलिए साथ खड़ी है।

यह समय राजनीति करने का नही है। यह सवाल किसी सरकार की हार और जीत से भी जुड़ा हुआ नही है बल्कि इसमें राज्य के साढ़े तीन करोड़ जनता का हित जुड़ा हुआ है। यह विषय पूरी तरह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।राज्य  सरकार स्वयं नीतियां बनाने और लागू कराने केलिए सक्षम है। केवल उसे विधि सम्मत समीक्षा की प्रक्रिया पूरी करने की आवश्यकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button