ब्राटिस्लावाः स्लोवाकिया फिर से राजनीतिक अस्थिरता के दौर में है। दरअसल एक विश्वासमत में पराजित होने के बाद राष्ट्रपति जुजाना कैपुटोवा ने सरकार को भंग कर दिया। इसके बाद वहां फिर से चुनाव होने के आसार बन गये हैं। यूरोपियन यूनियन का यह सदस्य देश पहले से ही रूस के साथ यूक्रेन के युद्ध में यूक्रेन के खिलाफ रहा है। अब वहां नई सरकार आने के पहले ही इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि वहां जो भी नई सरकार आयेगी, वह रूस समर्थक होगी।
शुक्रवार के दिन विश्वासमत में पराजित होने के बाद राष्ट्रपति का यह फैसला यूरोपियन यूनियन के लिए भी बड़ा धक्का है क्योंकि यह पूर्वी क्षेत्र का वह देश है जो अब तक ईयू के साथ खड़ा था। अब वहां चुनाव के पहले ही जो राजनीतिक माहौल बन गया है, उससे साफ है कि अगली सरकार फिर से रूस के समर्थन में खड़ी होगी। वैसे यह सारे देश पूर्व के अविभाजित सोवियत संघ से अलग होकर ही बने थे।
इनमें से अधिकांश आज भी रूस समर्थक देश हैं। अभी यहां स्लोवाकिया में जो लोग दौड़ में आगे हैं, उनमें तीन बार के पूर्व प्रमुख फिको भी शामिल हैं, जिन्हें वर्ष 2018 में एक पत्रकार की हत्या के बाद भ्रष्टाचार के आरोप में हटाया गया था। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्रियों में पीटल पेलेंगरिनी भी शामिल है। पिछले चुनाव में फिको को बहुत कम जनसमर्थन प्राप्त हुआ था। अब यहां जल्द चुनाव कराने के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता महसूस की गयी है। इस त्वरित चुनाव के प्रस्ताव को संसद से साठ प्रतिशत सदस्यों का समर्थन हासिल होना चाहिए।
इसके बीच ही कभी फिको के सहयोगी रहे पेलेंगरिनी ने सरकार के पतन को देश के लोगों के लिए क्रिसमस का उपहार बताया है। उनके मुताबिक इस सरकार की गलत नीतियों के कारण देश की आम जनता महंगाई से त्रस्त हो चुकी है। समझा जाता है कि उथल पुथल के दौर में रूस समर्थक प्रचार ने भी जनता को फिर से रूस की तरफ जाने को प्रोत्साहित किया है। जिस कारण अब देश में यूक्रेन के समर्थन में खड़ा होने का भी खुलकर विरोध होने लगा है। लोग मानते हैं कि इतिहास के नजरिए से अगर देखा जाए को अमेरिका के मुकाबले रूस ज्यादा भरोसेमंद साथी साबित होगा।