पोक्ट लोकरेः मोटे बर्फ के नीचे दबे एक छोटे से मकान को खोदकर निकालने में लोगों को लगातार दो दिनों तक काम करना पड़ा। रॉयल नेवी के लोगों ने इस काम को अंजाम दिया। जिस छोटे से ढांचे को बर्फ के अंदर से निकाला गया है वह अंटार्कटिका के विज्ञान केंद्र का एक हिस्सा है तथा यह वहां का पोस्ट ऑफिस भी है। वहां काम करने वाली चार महिलाओं के साथ रॉयल नेवी के लोगों ने यह काम पूरा किया। एचएमएस प्रोटेक्टर से गये इस दल ने इसी ढांचे के अंदर के इलाकों की सफाई भी कर दी है।
वहां लगातार उपेक्षित पड़े रहने की वजह से इस पर बर्फ की बहुत मोटी पर्त जम गयी थी। जिसे हटाने में काफी परिश्रम करना पड़ा। बर्फ में दबे होने की वजह से इस मकान की छत को नुकसान पहुंचा था लेकिन इस दल ने उसे भी ठीक कर दिया है।
ब्रिटेन से करीब नौ हजार मील की दूरी पर स्थित इस केंद्र को दोबारा ठीक करने में जिन महिलाओं ने काम किया है, उनके नाम है क्लारे बैलेंनटाइन, मेरी हिल्टन, नाटालिया कॉरबेट और लूसी ब्रूजोन। इनके काम में मदद के लिए वहां तीन लोग बारी बारी से जाते थे।
वहां तक पहुंचने में भी इस दल को काफी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि पूरा का पूरा इलाका ही बर्फ में दब गया था। इस कारण कौन सा ढांचा कहां है, यह ऊपर से पता भी नहीं चल पा रहा था। उसकी खुदाई पूरी होने के बाद यह पाया गया था कि बर्फ के दबाव में ऊपरी ढांचे टूट गये थे।
उन्हें अस्थायी तौर पर ठीक करने के लिए नौसेना की अपनी तरकीब को आजमाया गया है। इस विज्ञान केंद्र पर जाने वाली महिलाओं की जिम्मेदारी वहां के इस पोस्ट ऑफिस के देखभाल के अलावा वहां आने वाले पेंग्विन प्रजाति की गिनती करना भी है। इस काम को पूरा कर लेने के बाद यह दल अब फिर अगले पांच महीने तक वहां टिक पायेगा। इस दौरान वहां औसतन बीस हजार पर्यटक भी आयेंगे। इस पोस्ट ऑफिस से इस दौरान हर साल करीब अस्सी हजार कार्ड भी भेजे जाते हैं। यह कार्ड एक सौ देशों को भेजे जाते हैं। इसलिए वहां टिके रहना भी कोई आसान काम नहीं है।