सरयू राय के बयान और साक्ष्य कुछ ऐसे हैं कि प्रवर्तन निदेशालय के सामने असमंजस की स्थिति बन आयी है। राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री यानी हेमंत सोरेन से पूछताछ अंदर की बात है। वहां क्या कुछ बात-चीत हुई यह भी गोपनीय है। इससे आगे क्या होगा, यह भी तय नहीं है।
इसके बीच सार्वजनिक दस्तावेजों के आधार पर जमशेदपुर के विधायक सरयू राय ने जो कुछ कहा है, वह अदालती प्रक्रिया में भी ईडी पर भारी पड़ गया है। अवैध खनन से जुड़े मामले में प्रवर्त्तन निदेशालय (ईडी) की टीम सीएम हेमंत सोरेन से पूछताछ कर चुकी है। इस पूछताछ से राज्य की राजनीति सरगर्मी बढ़ गई है।
हेमंत सोरेन ने ईडी की पूछताछ के बाद जेएमएम की सभा में कहा कि जांच अधिकारी भी मानते है कि अवैध खनन का मामला पुराना है। फिर सिर्फ उन्हें ही क्यों समन भेजा जा रहा है। बीजेपी के पूर्व मंत्री सरयू राय ने भी ईडी की इस कार्रवाई पर सवाल उठाया है। सरयू राय का कहना है कि कई गड़बड़ियां पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के कार्यकाल की है, इसलिए मामले की छानबीन शुरुआत से होनी चाहिए।
विधायक सरयू राय ने कहा कि ईडी के आरोपपत्र के अनुसार साहेबगंज के पीरपैंती साइडिंग में 251 रेल रैक स्टोन चिप्स का अवैध परिवहन बिना चालान हुआ है, जिसमें से 233 रैक पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार और 18 रैक सीएम हेमंत सरकार में हुआ है। दोनों अवैध परिवहन प्रेम प्रकाश की कंपनी ने किया है, फिर पूछताछ केवल हेंमत सोरेन से ही क्यों?
सरयू राय ने ट्वीट कर कहा है कि जिस घोटाले में पूजा सिंघल जेल में है, चार्जशीट के अनुसार वह 2013-20 में हुआ। घोटाला कंपनी खाता में 2013-14 में 10.16 करोड़ और 2015-20 से 1554.44 करोड़ जमा हुआ। जिस आरोप में ईडी ने पूजा सिंघल को जेल में डाला है। उसी में रघुवर दास ने उन्हें आरोप मुक्त कर दिया था, ईडी चुप क्यों? उनका यही सवाल ईडी पर भारी पड़ रहा है क्योंकि उनका तर्क ईडी की चार्जशीट पर आधारित है।
वैसे गोड्डा के सांसद निशिकांत दूबे ने कहा है कि ईडी दुबारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बुलाने वाली है। ईडी के कार्यक्रमों के बारे में निशिकांत दूबे की सूचनाएं अक्सर ही सही साबित होती आयी है। इधर पूछताछ के बाद खुद हेमंत सोरेन ने झामुमो के कार्यकर्ताओं से कहा कि ईडी दफ्तर में सात-आठ घंटे तक सवाल-जवाब हुआ। इस दौरान उन्होंने कहा कि जो आरोप लगाए गए है,क्या वह केवल दो साल के हैं, तो ईडी अधिकारियों का कहना था कि उनकी ओर से दो साल नहीं कहा गया है, तो फिर ईडी के अधिकारी मामले की जांच प्रारंभ से क्यों नहीं करते।
रघुवर दास के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले सरयू राय इस क्रम में अपने खिलाफ भी जांच करने की मांग कर चुके हैं। इस बारे में उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा अपने खिलाफ सरकार से प्रारंभिक जांच (पीई) की अनुमति मांगने पर पलटवार किया है। उनके मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समर्थकों की शिकायत पर वे पहले भी खुद सीबीआई जांच की मांग कर चुके हैं।
सरयू राय ने एसीबी द्वारा पीई दर्ज करने की अनुमति निगरानी से मांगे जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए और खुद सिलसिलेवार उन तमाम बिंदुओं पर जवाब भी सार्वजनिक किया जिन्हें आधार बनाकर उनके खिलाफ शिकायत की गई है। विधायक सरयू राय ने आशा जताई कि पीई की अनुमति मांगने से पहले एसीबी ने शिकायत का सत्यापन, इंटेलिजेंस रिपोर्ट की प्रक्रिया पूरी कर ली होगी। दोनों प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद सरकार से प्रारंभिक जांच की अनुमति मांगी जाती है। इस दौरान जब पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं तो प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई होती है।
वे चाहते हैं कि पीई दर्ज करने की बजाय एसीबी सीधे प्राथमिकी दर्ज कर 15-20 दिनों में जांच पूरी करा ले। वे इसके लिए हर प्रकार से सहयोग करने को तैयार हैं। कुल मिलाकर ईडी ने पंकज मिश्रा और अन्य के खिलाफ हुई कार्रवाई के आधार पर अगर हेमंत सोरेन से पूछताछ की है तो उसे अब अपनी ही चार्जशीट पऱ उल्लेखित मुद्दों के आधार पर पूर्व सरकार के मुख्यमंत्री यानी रघुवर दास और उस काल में सबसे अधिक प्रभावशाली अफसर राज्य की पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा से भी जानकारी लेनी पड़ेगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो ईडी की कार्यशैली पर पक्षपात का सवाल उठना स्वाभाविक है। शायद यही फिलहाल ईडी की असमंजस का मूल कारण है।
कुल मिलाकर यह स्पष्ट होता जा रहा है कि झारखंड की अनियमितताओं के बारे में रघुवर दास की सरकार में मंत्री रहते हुए सरयू राय ने जो सवाल उठाये थे वह अब भी यथावत कायम हैं और समय समय पर उन्हीं मुद्दों की वजह से केंद्रीय एजेंसियों को अपना कदम काफी सोच समझकर उठाना पड़ रहा है।