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कोरोना की खाने वाली दवा पर अमेरिका में फिलहाल रोक लगी

  • कंपनी ने 210 मरीजों का आंकड़ा दिया

  • विशेषज्ञों ने पांच सौ मरीजों का ब्योरा मांगा

  • दवा के अब तक के परिणाम उत्साहजनक माना

वाशिंगटनः कोरोना मरीजों के लिए खाने वाली दवा का बड़ी जोर शोर से प्रचार किया गया था। यह माना गया था कि खाने वाली यह दवा कोरोना मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की परेशानियों से बचा सकती है। अब इस दवा के बारे में कंपनी द्वारा किये गये दावों का अध्ययन कर अमेरिकी नियंत्रक संस्था एफडीए ने इसके प्रयोग पर रोक लगा दी है।

वैसे इस बारे में मिली जानकारी से यह स्पष्ट होता है कि इस पर फैसला लेने वाली टीम में कुछ लोग इस दवा के पक्ष में थे। इस मुद्दे पर मतभिन्नता होने की वजह से मतदान के जरिए यह फैसला लिया गया है। इसमें दवा पर रोक के प्रस्ताव के पक्ष में आठ विशेषज्ञों ने मतदान किया है जबकि पांच लोगों ने इस दवा के इस्तेमाल के पक्ष में वोट दिये हैं। प्रस्ताव के पारित होने की वजह से फिलहाल इस दवा के सेवन पर रोक लगायी गयी है। जिस दवा पर यह रोक लगी है उसका नाम साबिजाबुलिन है। इसे वेरू कंपनी ने कोविड का पिल बताकर पेश किया है।

एफडीए ने इस दवा के बारे में कंपनी को यह निर्देश दिया है कि वह इस दवा के परीक्षण संबंधी और अधिक आंकड़े प्रस्तुत करे। यानी कंपनी द्वारा इस दवा को सेवन के योग्य बताने के क्रम में जितने आंकड़े पेश किये गये थे, उन्हें अमेरिकन फूड एंड ड्रग एडमिंस्ट्रेशन ने पर्याप्त नहीं माना है।

इसके साथ ही यह हिदायत दी गयी है कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले गंभीर कोरोना संक्रमण वाले रोगियों पर इसका प्रयोग नहीं किया जाए। दवा निर्माता कंपनी को और अधिक परीक्षण के आंकड़ों के साथ दोबारा दावा पेश करने को कहा गया है। वैसे इस  बारे में इस पैनल के सदस्य सुसाने मे ने कहा कि आंकड़े बेहतर हैं लेकिन इनमें और अधिक संख्या होनी चाहिए ताकि उसका बेहतर विश्लेषण हो सके। उन्होंने इस दवा के इस्तेमाल पर रोक के पक्ष में वोट दिया था। यानी इस पैनल का बहुमत दवा को खारिज नहीं कर रहा बल्कि और अधिक आंकड़ों की मांग कर रहा है।

साबिजाबुलिन दवा का परीक्षण पहले से ट्यूमर कोशों को बढ़ने से रोकने के सथ साथ प्रोटेस्ट कैंसर के ईलाज के लिए किया जा रहा था। इसी क्रम में कंपनी के पास यह आंकड़ा पहले से मौजूद था कि यह दवा एंटीवायरल गुणों से युक्त है तथा एंटी इंफ्लामेटरी काम करती है। यूएसएफडीए ने इस कंपनी के दावों को पर्याप्त और पूरी तरह भरोसेमंद नहीं किया और कहा कि दवा का परीक्षण जिन परिस्थितियों मे किया गया है, वे मुख्य तौर पर कोरोना के मरीज नहीं थे।

कंपनी की तरफ से इस दवा के साथ साथ सिर्प 210 मरीजों के आंकड़े पेश किये गये थे। एफडीए ने कमसे कम पांच सौ कोरोना मरीजों पर हुए परीक्षण का आंकड़ा लाने का निर्देश दिया है। ताकि इस दवा को मंजूरी देने के पहले उन तमाम आंकड़ों का सही तरीके से विश्लेषण किया जा सके। वैसे इस बारे में पैनल के एक अन्य सदस्य जेनिफर स्कॉटवार्टोट ने कहा कि जो आंकड़े आये हैं, वे उत्साहवर्धक हैं फिर भी इसमें अभी और शोध किये जाने की जरूरत है। कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ने के दौरान ही इस खाने वाली गोली की चर्चा प्रारंभ हुई थी और इसे बीमारी से मुक्ति पाने तथा अस्पताल जाने से बचने का बेहतर विकल्प माना गया था।

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