मामले को लेकर राज्य सरकार की परेशानी बढ़ी
-
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध दर्ज कराया
-
पीड़िता ने सरकारी रवैये पर आक्रोश जताया
-
पुलिस का दोबारा सख्त रवैया नजर आया
राष्ट्रीय खबर
नई दिल्ली: उन्नाव बलात्कार मामले के मुख्य दोषी और पूर्व भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सशर्त जमानत दिए जाने के निर्णय ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। शुक्रवार को इस फैसले के विरोध में भारी संख्या में प्रदर्शनकारी और सामाजिक कार्यकर्ता दिल्ली उच्च न्यायालय के गेट नंबर 7 के बाहर एकत्रित हुए। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर अदालत के फैसले के खिलाफ नारेबाजी की और सेंगर की रिहाई को महिला सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बताया।
यह आक्रोश उस समय भड़का जब उच्च न्यायालय ने सेंगर की उम्रकैद की सजा को अंतरिम रूप से निलंबित करते हुए उसे अपनी बेटी की शादी में शामिल होने या अन्य पारिवारिक आधारों पर राहत प्रदान की। इस खबर के मिलते ही उन्नाव बलात्कार की पीड़िता और उसके परिवार ने गहरा दुख और डर व्यक्त किया है।
पीड़िता ने मीडिया से बात करते हुए रुंधे गले से कहा, आज अदालत के भीतर जो हुआ, उसने मुझे भीतर तक तोड़ दिया है। जिस व्यक्ति ने मेरा जीवन बर्बाद किया, उसे जमानत मिलना मेरे और मेरे परिवार के लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं है। उसकी जमानत की शर्तों को जानकर मैं अब खुद को अत्यधिक असुरक्षित महसूस कर रही हूँ।
पीड़िता की मां ने भी इस न्यायिक प्रक्रिया पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, हमें उम्मीद थी कि दोषी को कभी बाहर नहीं आने दिया जाएगा, लेकिन इस फैसले ने हमारा भरोसा हिला दिया है। हम अब इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। यदि देश की सबसे बड़ी अदालत से भी हमें न्याय नहीं मिला, तो हमारे पास देश छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। मेरे पति की हत्या के दोषी और मेरी बेटी के गुनहगार को सिर्फ जेल नहीं, बल्कि फांसी मिलनी चाहिए।
प्रदर्शन के दौरान स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई जब दिल्ली पुलिस के जवानों और सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटने के लिए कहा। पुलिस ने लाउडस्पीकर के माध्यम से चेतावनी दी कि यदि प्रदर्शनकारी पांच मिनट के भीतर तितर-बितर नहीं हुए, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें हिरासत में लिया जाएगा।
मौके पर मौजूद प्रसिद्ध महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना ने न्यायपालिका के इस रुख की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, यह केवल एक पीड़िता की लड़ाई नहीं है, बल्कि देश की हर उस महिला का अपमान है जो न्याय की उम्मीद करती है। एक घोषित बलात्कारी की सजा को इस तरह निलंबित करना समाज में गलत संदेश भेजता है। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने तर्क दिया कि जब निचली अदालत ने सेंगर को बलात्कार और हत्या की साजिश का दोषी मानकर उम्रकैद की सजा सुनाई थी, तो किस आधार पर उसे समाज में घूमने की अनुमति दी जा रही है? प्रदर्शनकारियों की एक ही प्रमुख मांग थी कि दोषी को तुरंत वापस सलाखों के पीछे भेजा जाए ताकि पीड़िता का परिवार निर्भय होकर जी सके।