महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर का नया बयान
राष्ट्रीय खबर
कोलकाताः कुंभ के श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मानंदजी ने धर्म को राजनीति में मिलाने की बढ़ती प्रवृत्ति की कड़ी निंदा की। वह यहीं नहीं रुके। उनकी टिप्पणी एक कदम आगे बढ़ गई, हमें स्पष्ट रूप से बोलने की जरूरत है। जो लोग भगवा वस्त्र पहनते हैं, विधानसभा, लोकसभा में जनप्रतिनिधि बन गए हैं, या मुख्यमंत्री के पद पर बैठे हैं, उनके लिए बेहतर है कि वे खुद को संत कहलाना बंद कर दें! अगर कोई संत की पहचान का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए करता है तो यह शास्त्रों के विरुद्ध है।
कुंभ मेले के आयोजकों में से एक महानिर्वाणी अखाड़े के इस संत ने हालांकि किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन जानकार हलकों का मानना है कि उनके ‘धार्मिक संदेश’ का निशाना उत्तर प्रदेश के भाजपा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। पूर्णिमा कुंभ के आसपास भगवा पार्टी के अभियान के संदर्भ में स्वामी परमात्मानंद की टिप्पणियों को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
महामंडलेश्वर गुरुवार को कल्याणी के गौरांग महाप्रभु घाट पर बंग कुंभ मेले के शाही स्नान में भाग लेने पहुंचे। उस दिन सुबह 4 बजे शुरू हुए स्नान समारोह में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। स्वामी परमात्मानंद जुलूस के साथ वहां पहुंचे। बंगाल कुंभ मेला 16 फरवरी तक चलेगा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही उद्यमियों को संदेश भेजकर उन्हें इस मेले और स्नान पर्व की सफलता की शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने लिखा, मुझे खुशी होती अगर मैं स्वयं बंगाल कुंभ मेले में उपस्थित हो पाता। लेकिन मैं चाहता हूं कि तीर्थयात्रियों को किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े। मैं मेले की सफलता के लिए आपको शुभकामनाएं देता हूं। संयोग से, हुगली के त्रिवेणी और कल्याणी के महाप्रभु घाट पर मिनी कुंभ मेला चल रहा है। लाखों तीर्थयात्री पहले ही त्रिबेनी में स्नान कर चुके हैं। कल्याणी भी बहुत व्यस्त है।
महामंडलेश्वर आज शाही स्नान पर्व के बाद पत्रकारों से रूबरू हुए। उन्होंने गंगासागर मेले का मुद्दा उठाकर केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर कटाक्ष किया। उनका सवाल है, हम खुद को पारंपरिक कहते हैं, लेकिन गंगासागर जैसे प्राचीन पारंपरिक मेले को हम राष्ट्रीय मान्यता नहीं देंगे? यह पाखंड है! केंद्र हमें वंचित क्यों कर रहा है? यही बड़ा सवाल है!
राज्य में सत्ता में आने के बाद से ही ममता गंगासागर मेले को ‘राष्ट्रीय मेला’ के रूप में मान्यता देने की मांग को लेकर मुखर रही हैं। मदद के लिए बार-बार अनुरोध के बावजूद केंद्र ने इस मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दिया। यहां तक कि पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने भी गंगासागर को राष्ट्रीय मेले के रूप में मान्यता देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए स्वामी परमात्मानंद ने आज कहा, गंगा को ध्यान में रखते हुए, मुरीगंगा नदी पर पुल के निर्माण के लिए राज्य के बजट में अतिरिक्त 500 करोड़ रुपया आवंटित किया गया है। इससे गंगासागर यात्रा सुरक्षित हो जाएगी। केंद्र को इससे सीख लेनी चाहिए। इस बार मेले में एक करोड़ से ज्यादा लोग आए, इसलिए पुल की जरूरत है।’ उनके शब्दों में, केंद्र सरकार को गंगा पर करीब पांच किलोमीटर लंबा पुल बनाने में भी सहयोग करना चाहिए।