पुरुलिया के जंगल में पैरों के निशान मिले
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ग्रामीणों ने अपनी आंखों से देखा है इसे
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शायद किसी दूसरे इलाके से आ पहुंचा है
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इस बाघ के गले में रेडियो कॉलर भी नहीं
राष्ट्रीय खबर
पुरुलियाः बाघिन जीनत अपने पीछे जो गंध छोड़ गयी थी, उसकी वजह से एक और युवा बाघ पुरुलिया के जंगलों में आ गया है। पहाड़ियों पर उसके पैरों के निशान देखे गये हैं। झाड़ग्राम जिले के बेलपहाड़ी के बाद पुरुलिया में राइका हिल्स से सटे इलाके में बाघ के पैरों के निशान मिलने के बाद यह सवाल उठा है। वन विभाग भी इस संभावना से इंकार नहीं कर रहा है।
बाघिन के हमले के महज दो सप्ताह बाद राइका हिल्स से सटे इलाके में बाघ के पैरों के निशान मिलने से इलाके में दहशत की नई लहर फैल गई है। वन विभाग भी सक्रिय है। पिछले दिसंबर के अंत में जीनत नाम की एक बाघिन ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिजर्व से झारखंड की सीमा पार कर बंगाल के बेलपहाड़ी जंगलों में पहुंच गई।
वहां कुछ दिन बिताने के बाद जीनत पुरुलिया के बंदोवन प्रखंड के राइका हिल्स पहुंचीं। वहां करीब पांच दिन बिताने के बाद बाघिन बांकुड़ा के रानीबांध प्रखंड के गोंसाईडीही गांव में दिखाई दी। काफी हंगामे के बाद बाघिन 29 दिसंबर को गोंसैडी गांव के पास जंगल में लौट आई। वन विभाग ने जीनत को ट्रैंक्विलाइजर देकर काबू में किया। नये साल की शुरुआत में जीनत सिमलीपाल लौट आयीं।
लेकिन बाघिन के पकड़े जाने के 10 दिन से भी कम समय बाद बेलपहाड़ी जंगल में बाघों का खौफ फिर से शुरू हो गया। बेलपहाड़ी के चुरिमारा सीआरपीएफ कैंप से सटे मोन्याडीही के जंगलों में चींटी के अंडे इकट्ठा करने गए कई स्थानीय लोगों ने अपनी आंखों से बाघ को देखने का दावा किया है। उस क्षेत्र में कई स्थानों पर बाघ के पैरों के निशान देखे जा सकते हैं।
मंगलवार को पुरुलिया के राइका में बाघ के पैरों के निशान दिखने के बाद माना जा रहा है कि उसने बेलपहाड़ी के जंगल को छोड़कर पहाड़ियों में शरण ले ली है। मंगलवार की सुबह बेलडुंगरी पहाड़टाली इलाके में बाघ के कई पैरों के निशान दिखने के बाद दहशत फैल गई। पुरुलिया के बंदोवन ब्लॉक में केशरा, नेकरा, लौपाल और उदोलबनी सहित कई गांवों के निवासी भयभीत हैं।
राइका हिल्स से सटे क्षेत्र में ‘संदिग्ध संकेतों’ को लेकर वन विभाग को भी सतर्क कर दिया गया है। पुरुलिया के वनकर्मियों के साथ-साथ सुंदरवन से एक विशेष रूप से प्रशिक्षित टीम भी पुरुलिया के राइका हिल्स पहुंच गई है। बाघ की संयुक्त खोज शुरू हुई। यद्यपि वनकर्मियों ने अथक प्रयास किया, फिर भी उन्हें बाघ नहीं मिला।
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार बाघ का स्थान स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, क्योंकि उसके गले में रेडियो कॉलर नहीं है। वन अधिकारियों का मानना है कि यदि बाघ पुरुलिया में प्रवेश कर चुका है, तो यह अभी भी बाघ के ‘मार्ग’ का अनुसरण कर रहा है। ऐसी स्थिति में यह माना जा रहा है कि बाघ मादा साथी की तलाश में है।