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रघुवर लौटे तो बाकी नेताओं का क्या होगा

झारखंड भाजपा के सामने अब बड़ा सवाल हो गया खड़ा

  • आदिवासी वोट छिटकने की वजह थे

  • सुदेश महतो से अच्छा रिश्ता नहीं रहा

  • मरांडी और मुंडा के तेवर पर भी है ध्यान

राष्ट्रीय खबर

रांचीः उड़ीसा के पूर्व राज्यपाल फिर से सक्रिय राजनीति में लौटने की पुष्टि कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि पार्टी नेतृत्व जो भी जिम्मेदारी सौंपे, वे उसे निभाने को तैयार हैं। इसी वजह से रघुवर दास की राजनीतिक पोस्टिंग कहां और कैसी होगी, इस पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। मजेदार बात यह है कि पार्टी नेतृत्व के इस फैसले के बाद भी पार्टी के प्रदेश स्तरीय अधिकांश नेताओं ने कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है।

वैसे इसके कुछ अपवाद भी हैं, जिन्होंने श्री दास की राजनीति में वापसी का स्वागत किया है। पार्टी के अंदर अभी दो मुद्दों पर चर्चा चल रही है। पहला तो यह है कि क्या रघुवर दास को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा और दूसरा कि क्या उन्हें झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

दोनों ही परिस्थितियों में झारखंड में भाजपा का क्या हाल होगा, यह सवाल तैर रहा है। पार्टी के अधिसंख्य नेता मानते हैं कि पूर्व में मुख्यमंत्री रहते हुए रघुवर दास ने जो फैसले लिये और जनता के अलावा आम कार्यकर्ताओं के साथ उनका जैसा आचरण रहा, वह भी भाजपा के पतन का कारण रहा है।

पार्टी के भीतर एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि अपने रूखे आचरण और अत्यंत कठोर बोलने की वजह से वह अलोकप्रिय होते चले गये। पार्टी के कार्यकर्ताओं के एक बड़े वर्ग की उनके प्रति नाराजगी अब भी खत्म या कम नहीं हुई है। इसलिए उनके आने के बाद भी इस वर्ग को वह पार्टी से सक्रिय तौर पर जोड़ सकेंगे, इस पर सवालिया निशान लगा है।

वर्तमान में भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती आदिवासी वोट बैंक का छिटक जाना है। इसके लिए भी पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता रघुवर दास को ही जिम्मेदार मानते हैं। खूंटी की घटना के अलावा कई ऐसे फैसले भी उनके कार्यकाल में हुए, जिनकी वजह से आदिवासी समुदाय भाजपा से छिटक गया।

इसके समानांतर जो दूसरा सवाल चल रहा है, वह यह है कि क्या भाजपा और आजसू के रिश्तों को खत्म करने का घंटा बज गया है। सभी जानते हैं कि रघुवर दास और सुदेश महतो के बीच का रिश्ता अच्छा नहीं रहा। उन्हें दोबारा जिम्मेदारी सौंपे जाने पर आजसू का क्या रुख होगा, यह देखने वाली बात होगी।

इसके अलावा दो पूर्व मुख्यमंत्री यानी बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा इस फैसले को किस तरीके से लेंगे, इस पर भी लोगों की नजर लगी हुई है। तीसरे पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी कैसी प्रतिक्रिया देंगे, यह अभी तय नहीं है। कुल मिलाकर रघुवर दास के दोबारा भाजपा में सक्रिय होने के नफा नुकसान का आकलन आने वाले दिनों में होगा।

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