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किसानो को मिले संसद में प्रदर्शन की अनुमति :भाकियू

भाजपा ने डल्लेवाल की सेहत पर तुरंत ध्यान देने की बात कही

  • चौधरी चरण सिंह की जयंती पर मांग की

  • डल्लेबाल के आमरण अनशन के 27 दिन पूरे

  • राजनीति छोड़कर किसानों के मुद्दों पर बात हो

अमरोहाः भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष नरेश चौधरी ने मांग की है कि प्रमुख राजनीतिक दलों की तरह किसानो को भी संसद परिसर में प्रदर्शन की अनुमति दी जानी चाहिए। श्री चौधरी ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद कहा ‘‘ सही मायनों में चौ चरण सिंह किसानों के प्रवक्ता थे।

दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राजनीतिक दलों के गैर-जरूरी प्रदर्शन व शोरगुल में किसानों के मुद्दे गौण हो गए। कोई भी राजनीतिक दल ग्रामीण भारत की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दिया। किसानों को अपनी मांगों को लेकर संसद परिसर में धरना प्रदर्शन की अनुमति दी जानी चाहिए।

उन्होने कहा कि गांव और किसानों का प्रतिनिधित्व करने का दम भरने वाले सांसद, विधायक सभी अपनी अपनी पार्टी के लीडर हो सकते हैं मगर चौधरी चरण सिंह की तरह गांव व किसान के लीडर नहीं बन सकते है। उन्होंने किसान जागरण के लिए 13 अक्टूबर 1979 को असली भारत साप्ताहिक अख़बार शुरू किया था।

उनकी यादों को ताजा करते हुए कहा कि उनसे मिलने जब गांवों से लोग आते थे वह उनसे कहते थे कि किराए पर इतना पैसा और समय खर्च करने के बजाय यही बात एक पोस्टकार्ड पर लिख भेजते तो तुम्हारा काम हो जाता। इस तरह राजनेताओं को उनसे प्रेरणा लेकर काम करने जरूरत है। नरेश चौधरी ने कहा कि सांसदों व विधायकों को किसानों की अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं व शक्ति का आभास कराने के लिए चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस को किसान शक्ति के रूप में मनाने का फैसला लिया गया है।

इधर पंजाब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने खनौरी मोर्चे पर पिछले 27 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे 70 वर्षीय किसान नेता दलजीत सिंह डल्लेवाल का जीवन बचाने के लिये सामूहिक प्रयास करने की जरूरत पर बल दिया है। श्री जाखड़ ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि किसान नेताओं को अहम त्याग कर सर्वप्रथम अनशन समाप्त करवाने का गंभीरता से प्रयास करना चाहिये।

उन्होंने कहा कि ऐसा देश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि केन्द्र सरकार के बाद उच्चतम न्यायालय ने भी किसी व्यक्ति के अनशन का संज्ञान लेते हुये सीधे बातचीत करने की पेशकश की है। इससे श्री डलेवाल का लक्ष्य पूरा हो जाता है। उनकी मांगों को अब उच्चतम न्यायालय के समक्ष रखना ही बेहतर होगा।

श्री डलेवाल के अनशन को लेकर कैंडल मार्च के आह्वान पर टिप्पणी करते हुये श्री जाखड़ ने कहा कि कई किसान नेता यह तर्क देकर किनारा किये बैठे हैं कि उन्होंने तो कृषि कानून वापस लेने के लिये संघर्ष शुरू किया था और यह मांग पूरी हो चुकी है। मतभेदों के कारण सभी एक मंच पर एकत्र होने को तैयार नहीं। ऐसा प्रभाव मिल रहा है कि पिछले 10 दिनों से श्री डलेवाल की जान से खिलवाड़ हो रहा है।

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