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डीजीपी बदला तो अन्य पदों का क्या होगा

चुनाव आयोग के निर्देश पर झारखंड सरकार की कार्रवाई

  • शाम को पदभार संभाला अजय सिंह ने

  • पहले बाबूलाल मरांडी ने ही लगाये थे आरोप

  • अब भी दो अदालतों में चल रहे हैं गंभीर मामले

राष्ट्रीय खबर

 

रांचीः चुनाव आयोग के निर्देश पर झारखंड के डीजीपी को आनन फानन में बदल दिया गया। वैसे यह चुनाव आयोग की परंपरा रही है कि एक बार विवाद में आने वाले किसी अधिकारी को वह चुनावी जिम्मेदारियों से अलग कर देता है। इसलिए चुनाव आयोग ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया था कि बीती शाम सात बजे तक झारखंड सरकार यह काम पूरा कर लें।

इसके तहत ही राज्य के सबसे सीनियर आईपीएस अजय कुमार सिंह को दोबारा डीजीपी बनाया गया। जिसके बाद खुद अजय सिंह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से शिष्टाचार मुलाकात की। अब इसके बाद से ही जानकार अन्य विभागों पर सवाल उठा रहे हैं तो डीजी रैंक के अधिकारी अनुराग गुप्ता के पास हैं।

प्रभारी डीजीपी बनाये जाने के पहले से ही अनुराग गुप्ता के पास दो ऐसे महत्वपूर्ण पुलिस विभागों की जिम्मेदारी है, जिन्हें चुनावी और राजनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण समझा जाता है।

इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि क्या चुनाव आयोग का निर्देश सिर्फ पुलिस मुख्यालय तक ही प्रभावी होगा अथवा पुलिस के स्पेशल ब्रांच, जिसे गुप्तचर सेवा भी कहा जाता है, जैसे विभाग इसके दायरे में आयेंगे।

चुनावी उतार चढ़ाव के बीच इस कार्रवाई को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हेमंत सोरेन ने भले ही अनुराग गुप्ता पर भरोसा जताया हो लेकिन सच तो यही है कि पूर्व में अनुराग गुप्ता पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के करीबी होने की वजह से चुनाव आयोग के निशाने पर आ गये थे।

अजीब स्थिति यह भी है कि पिछली बार रघुवर दास के कार्यकाल में अनुराग गुप्ता पर आरोप लगाने वाले बाबूलाल मरांडी अब खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष है। इसी वजह से अब भाजपा वाले भी उस घटना को याद करना नहीं चाहते क्योंकि तब और अब के बीच बहुत कुछ बदल चुका है।

लेकिन चुनाव आयोग के निर्देश पर हुई त्वरित कार्रवाई के बीच ही झारखंड उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के मामलों पर इसका कोई असर नहीं पड़ना है। अब सुप्रीम कोर्ट में सरकार अजय कुमार सिंह को बिना किसी आरोप के अचानक हटाने पर क्या दलील देती है, इस पर बहुत कुछ निर्भर है। झारखंड उच्च न्यायालय में अनुराग गुप्ता के खिलाफ दर्ज मामले में झारखंड पुलिस के क्लीन चिट को भी अदालत स्वीकार करेगी, इसकी बहुत कम संभावना है। अगर अदालत ने इस मामले की जांच किसी दूसरे एजेंसी से कराने का आदेश जारी कर दिया तो ढेर सारे समीकरण फिर से बदल जाएंगे।

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