दिल्ली के उपराज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः दिल्ली के उपराज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में 11 सीएजी रिपोर्ट पेश करने में देरी की ओर इशारा किया। राज निवास के अधिकारियों ने बताया कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शुक्रवार (16 अगस्त, 2024) को विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल को लिखे पत्र में दिल्ली विधानसभा में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की 11 रिपोर्ट पेश करने में देरी की ओर इशारा किया।
अधिकारियों ने आरोप लगाया कि राज्य के वित्त, प्रदूषण निवारण, शराब के विनियमन और आपूर्ति, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के संबंध में विनियोग खातों और देखभाल और संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों पर एक प्रदर्शन लेखा परीक्षा रिपोर्ट से संबंधित कुछ रिपोर्टें वित्त मंत्री के पास 2022 से लंबित हैं।
उन्होंने बताया कि 18 जुलाई को सीएजी ने उपराज्यपाल को सूचित किया कि 11 रिपोर्ट अभी भी लंबित हैं। हालांकि, दिल्ली सरकार के एक सूत्र ने कहा कि रिपोर्ट जल्द ही पेश की जाएंगी। एलजी ने अपने पत्र में इस देरी को संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन बताया और उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि रिपोर्ट जल्द से जल्द विधानसभा में पेश की जाए।
उन्होंने कहा, विधानसभा के समक्ष लंबित सीएजी रिपोर्ट रखने में दिल्ली सरकार की चूक उसके संवैधानिक दायित्वों की घोर उपेक्षा है। उदाहरण के लिए, 2017-2022 की अवधि में शराब के विनियमन और आपूर्ति के प्रदर्शन लेखापरीक्षा पर रिपोर्ट 4 मार्च, 2024 को दिल्ली सरकार को भेजी गई थी और 11 मार्च से वित्त मंत्री के पास लंबित है, अधिकारियों ने कहा, यह रिपोर्ट अब समाप्त हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति की जांच के मद्देनजर महत्वपूर्ण थी।
राज भवन ने कहा कि श्री सक्सेना ने पहले इस साल फरवरी में देरी के बारे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा था और उनसे अनुरोध किया था कि वे वित्त मंत्री को उन्हें विधानसभा के समक्ष शीघ्रता से रखने की सलाह दें। एलजी ने श्री गोयल को लिखे अपने पत्र में कहा, ऐसा न करके, दिल्ली सरकार विधानसभा और जनता की जांच से बच रही है, तथा लोकतांत्रिक जवाबदेही के मूल आधार को कमजोर कर रही है।
पत्र में कहा गया है, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप दिल्ली सरकार पर अपनी शक्ति और अधिकार का प्रयोग करें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आगामी सत्र में बिना किसी देरी के सभी लंबित जीएजी रिपोर्ट को दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखने के लिए कानून के तहत आवश्यक कदम उठाए जाएं।