बिहार के सुशासन सरकार की चर्चा अब संसद के सत्र तक पहुंची
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः बिहार के अररिया जिले में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के बावजूद 35 फुट लंबा पुल बनाया गया। पुल को 3 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था।
बिहार के अररिया जिले में 35 फुट लंबा पुल, जिसके दोनों तरफ सड़क नहीं है, ने राज्य प्रशासन में हलचल मचा दी है। जिला प्रशासन ने ग्रामीण निर्माण विभाग से रिपोर्ट मांगी है।
चालू संसद के सत्र में इसे लेकर मजाक भी बनाया जा रहा है। एनडीए के सहयोगी जदयू की सरकार में लगातार ब्रिज गिरने की घटनाओं के बाद यह नई सूचना विरोधियों के लिए नया हथियार है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, पुल का निर्माण सीएम ग्रामीण सड़क योजना के तहत 2.5 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना के तहत किया गया था। 3 करोड़ रुपये की लागत से बना यह पुल पटना से करीब 7 घंटे की ड्राइव पर अररिया के परमानंदपुर गांव में खुले मैदान में बना है।
इसका उद्देश्य सड़क बनने के बाद भी खेत के एक तरफ से दूसरी तरफ पानी के जाने की अनुमति देना था। हालांकि, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में देरी हुई और परियोजना पूरी नहीं हो सकी।
पुल का निर्माण उस जमीन पर किया गया, जो पहले ही स्थानीय किसानों से ली जा चुकी थी।
ग्रामीण निर्माण विभाग के एक अधिकारी के हवाले से बताया, भूमि अधिग्रहण करने और पहले सड़क निर्माण शुरू करने के बजाय, ग्रामीण निर्माण विभाग ने अधिग्रहित भूमि के एक टुकड़े पर 35 फुट का पुल बना दिया, जबकि तर्कसंगत तरीके से परियोजना को आगे बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
हालांकि, निवासियों का दावा है कि उन्हें परियोजना के बारे में बहुत कम जानकारी थी और वे खेत के बीच में पुल के निर्माण से हैरान थे।
अररिया के जिला मजिस्ट्रेट इनायत खान ने इस संबंध में कार्यकारी अभियंता से रिपोर्ट मांगी है।
अधिकारी ने कहा, भूमि उपलब्ध न होने की स्थिति में, इस योजना को कैसे प्रारूपित किया गया, सभी मामलों की जांच की जा रही है और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। दूसरी तरफ संसद में भी बिहार की सुशासन सरकार के इस कारनामे पर भी लोग चर्चा करने की तैयारियों में जुटे हैं।