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कौन जूनियर अपने सीनियर की जांच करेगा

अदालत में पुलिस और चुनाव आयोग पर सवाल उठेंगे


  • अगली तिथि की बेसब्री से प्रतीक्षा

  • बाहरी एजेंसी की जांच से हैरानी

  • रघुवर दास के मामले भी दबे हैं


राष्ट्रीय खबर

 

रांचीः झारखंड हाईकोर्ट में अनुराग गुप्ता के खिलाफ दर्ज मामला शीघ्र ही सुनवाई के लिए आ सकता है। अभी इसकी जो कानूनी स्थिति है, इसमें यह सवाल स्वाभाविक है कि डीजी रैंक के दो महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापित अफसर के खिलाफ झारखंड का कौन अफसर जांच कर सकता है।

इससे पहले भी अदालत में बात चीत की जो सीडी जमा है, उसमें इन बातों का काफी कुछ जिक्र भी है। घटनाक्रमों की जानकारी रखने वाले लोगौं के मुताबिक स्वाभाविक तौर पर हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई के दौरान यह सवाल करेगा कि पुलिस विभाग के एक उच्चाधिकारी के खिलाफ कोई जूनियर अधिकारी कैसे ईमानदारी पूर्वक जांच कर सकता है। लोग मानते हैं कि ऐसी स्थिति में किसी दूसरी एजेंसी से जांच कराने की अगर मांग की गयी तो वह स्वीकृत हो जाएगी।

वैसे एक साथ दो महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाले डीजी के पास अब पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ दर्ज मामले भी हैं।

याद दिला दें कि राज्यसभा चुनाव के दौरान योगेंद्र साव के साथ जो कुछ घटित हुआ था, उसमें श्री दास की तरफ से अनुराग गुप्ता भी थे। अजीब स्थिति है कि इस सीडी को जारी करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी अब भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

अब रघुवर दास के खिलाफ चल रही कई जांच प्रक्रियाओँ की प्रगति क्या है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है।

विभाग के जानकारों के मुताबिक फाइल बंद पड़ी है और फिलहाल इसमें कोई और परिवर्तन होने की उम्मीद भी नहीं है।

वैसे पुलिस महकमा भी यह देखकर हैरान है कि दो विभागों के डीजी एक साथ हेमंत सरकार के साथ तालमेल बैठाकर चलने की कोशिश के क्रम में उड़ीसा के राज्यपाल रघुवर दास के खिलाफ जांच की फाइलों को भी निपटाने का काम कर रहे हें।

ऐसे में किसी वजह से अगर कोई चूक हो गयी तो एक साथ कई चेहरे सामने आ जाएंगे, जो दरअसल सत्ता के दलाल है और हर सरकार के बीच पैठ बनाकर अपनी गोटी लाल करने में जुटे हैं।

हर कोई इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के बाद अदालत का नया आदेश अथवा निर्देश क्या आता है। अगर इस मामले की जांच किसी दूसरी एजेंसी से कराने जैसी नौबत आ गयी तो सारा खेल पलट सकता है

jharkhand high court,वैसे स्थिति में कौन सा प्यादा कहां पिटेगा, इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। दूसरी तरफ सरकार का ध्यान अभी विधानसभा चुनाव की तरफ अधिक होने की वजह से खुद की गरदन बचाने की कोशिश करने वाले भी हेमंत सोरेन का ध्यान सिर्फ चुनाव में भी अटकाये रखने की चालें चल रहे हैं।

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