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सिपाही कैसे बड़ा बिल्डर बन गया

सरकार और सत्ता के अलावा सारे लोगों को पता है


  • धुर्वा के क्वार्टर में तैनात था

  • महिला अफसर के घर पर रहा

  • अब अफसरों का पैसा निवेश कर रहा


राष्ट्रीय खबर

रांचीः झारखंड में तबादला उद्योग अनेक लोगों को अमीर बना गया है। मजेदार बात है कि इन दलालों को जनता अच्छी तरह जानती पहचानती है। फटी चप्पल पहन कर आने वाले अचानक सोने का कड़ा और हार पहनकर स्कार्पियो गाड़ी पर कैसे चढ़ने लगे, यह आम जनता की जानकारी में है। मजेदार बात यह है कि जनता को इस सच्चाई की जानकारी होने के बाद भी सरकार और सत्ता को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। यह तब लागू होती है जब राज्य की सत्ता में कोई भी पार्टी काबिज हो।

इसी क्रम में एक मामूली सिपाही के अमीर होने की कहानी इस राज्य के तबादला उद्योग की सच्चाई बया करती है। कभी धुर्वा में एक पुलिस उच्चाधिकारी के घर पर काम करने वाले इस सिपाही ने अपने अधिकारियों को पटाने का काम बखूबी किया। धीरे धीरे एक अफसर का विश्वासपात्र बनने के बाद वह तबादलों की पैरवी करने लगा। इसके जरिए अफसर को भी बिना किसी विवाद के पैसा पहुंचता रहा और बीच का हिस्सा इस सिपाही की जेब में जाना प्रारंभ हो गया।

यहां से उस एक सिपाही की औकात बढ़ने लगी। दूसरे लोगों के साथ साथ बिना झंझट के कमाई की चाह रखने वाले अफसरों की नजरों में वह आ गया। इसका नतीजा है कि डीएसपी स्तर के अधिकारी भी अपने तबादले के लिए इसी सिपाही के दरवाजे पर पहुंचने लगे। हाल के दिनों तक एक पुलिस उच्चाधिकारी के घर पर ही रहने वाले इस सिपाही ने अपनी अवैध कमाई की पूंजी की बदौलत रियल एस्टेट के कारोबार में पैर रख दिया।

शायद अफसरों को भी उसके इस नये कारोबार की जानकारी दी गयी। नतीजा यह हुआ कि अनेक अधिकारी भी अपनी कमाई इसी सिपाही के जरिए रियल एस्टेट में लगा चुके हैं। इस एक व्यक्ति ने कई बड़े बिल्डरों के साथ भी अब पार्टनरशिप कर ली है और मजेदार बात है कि कहां कहां इस पैसे से प्रोजेक्ट चल रहे हैं, इस बारे में आम लोगों को पूरी जानकारी है। अगर कोई अनजान है तो वह सिर्फ सरकार और सत्ता है।

भ्रष्टाचार रोकने की बात को सत्ता पर काबिज हर दल के नेता करते आये हैं। इन तमाम लोगों के पास जांच की एजेंसी भी है पर आज तक इस किस्म तबादला से कमाई करने वालों को खिलाफ एक भी जांच नहीं हो पायी है। दूसरी तरफ यह साफ है कि दूसरे इलाकों से आकर यहां की अफसरशाही में पैठ बनाने वालों को जनता पहचानती है पर सरकार और जांच एजेंसियां क्यों नहीं पहचानती, यह बड़ा सवाल है। इस सवाल के उत्तर में पुलिस के ही एक रिटायर्ड अधिकारी ने कहा कि जांच एजेंसियों के शीर्ष पर जो आते हैं, उनका भी पैसा कहीं न कहीं किसी के माध्यम से लगा होता है। ऐसे मे दलालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती है।

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