केंद्र सरकार ने एक और फैसला चुपचाप ले लिया, आदेश जारी
राष्ट्रीय खबर
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने नागरिक क्षेत्रों को रक्षा क्षेत्रों से अलग करने की प्रक्रिया तेज कर दी है और 13 सैन्य छावनियों में संपत्तियों पर संपत्ति के अधिकार स्थानीय नगर पालिकाओं को हस्तांतरित कर दिए जाएंगे। इसका मतलब यह है कि सैन्य स्टेशन सेना के पास रहेंगे, जबकि इसके बाहर के क्षेत्र राज्य सरकार को हस्तांतरित कर दिए जाएंगे।
छावनियों को लिखे पत्र में सरकार ने नागरिक क्षेत्रों को अलग करने और राज्य नगर पालिकाओं के साथ उनके विलय के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पत्र में कहा गया है कि ये दिशा-निर्देश पिछले सप्ताह रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने की अध्यक्षता में हुई बैठक में तैयार किए गए थे।
पत्र में कहा गया है, बाहर किए गए क्षेत्र में नागरिक सुविधाएं और नगरपालिका सेवाएं प्रदान करने के लिए बनाई गई सभी संपत्तियों पर स्वामित्व अधिकार राज्य सरकार/राज्य नगर पालिकाओं को मुफ्त में हस्तांतरित किए जाएंगे। छावनी बोर्डों की संपत्ति और देनदारियां राज्य नगर पालिका को हस्तांतरित की जाएंगी।
इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि सरकार जहां लागू होगी, वहां स्वामित्व अधिकार बरकरार रखेगी। वर्तमान में देश में आगरा, इलाहाबाद, अल्मोड़ा, अयोध्या, बरेली, चकराता, क्लेमेंट टाउन, दानापुर, देहरादून, फतेहगढ़, जबलपुर, कानपुर, लंढौर, लैंसडाउन, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, महू, नैनीताल, पंचमढ़ी, रामगढ़, रानीखेत, रुड़की, शाहजहांपुर और वाराणसी में ऐसे सैन्य क्षेत्र है।
आदेश में कहा गया है, नगरपालिका अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत ऐसे क्षेत्रों पर स्थानीय कर/शुल्क लगा सकेगी। हालांकि, क्षेत्रों को अलग करते समय सशस्त्र बलों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को उचित प्राथमिकता दी जाएगी, यदि ऐसी कुछ निजी भूमि हैं, जहां अलगाव सैन्य स्टेशन की सुरक्षा पर असर डाल रहा है, तो मामले के आधार पर इस पर विचार किया जाएगा।
ऐसा क्यों किया जा रहा है सरकार में यह भावना है कि छावनी एक पुरातन औपनिवेशिक विरासत का हिस्सा हैं और वर्तमान व्यवस्था इन क्षेत्रों के निवासियों को राज्य सरकार की कुछ कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच से वंचित करती है। नागरिक और सैन्य क्षेत्रों को अलग करने का मुद्दा स्वतंत्रता के बाद की अवधि में वापस चला जाता है।
1948 में, कांग्रेस के दिग्गज एसके पाटिल की अध्यक्षता वाली एक समिति ने छह छावनी में नागरिक क्षेत्रों को अलग करने की सिफारिश की थी। लेकिन इस तरह के कदम के लिए जनता के विरोध का हवाला देते हुए इस योजना को रद्द कर दिया गया था। तब से यह मुद्दा कई मौकों पर सामने आया है और सरकार का नवीनतम कदम इसी पृष्ठभूमि में है।
रक्षा मंत्रालय के पास करीब 18 लाख एकड़ जमीन है और यह देश का सबसे बड़ा भूस्वामी है। अतीत में संसदीय पैनल ने गैर-सैन्य उद्देश्यों के लिए रक्षा निधि के उपयोग को चिन्हित किया है, जैसे कि छावनी के नागरिक क्षेत्रों में नागरिक व्यय। देश में वर्तमान में 62 अधिसूचित छावनी हैं, जो कुल मिलाकर 1.61 लाख एकड़ जमीन रखती हैं। वर्तमान में, सभी नागरिक और नगरपालिका मामलों को सैन्य छावनी बोर्डों द्वारा संभाला जाता है। हालाँकि, एक बड़ा सवाल यह है कि क्या नागरिक निकाय, जो पहले से ही कर्मचारियों और धन की कमी से जूझ रहे हैं, अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।