विवादों में घिरी चुनाव अधिकारी ने ईवीएम पर सफाई दी
राष्ट्रीय खबर
मुंबई। चुनाव अधिकारी ने उन खबरों को खारिज कर दिया कि मुंबई में जीतने वाले शिवसेना उम्मीदवार के एक रिश्तेदार के पास ईवीएम को अनलॉक करने वाला फोन था। मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र की रिटर्निंग ऑफिसर वंदना सूर्यवंशी ने कहा, ईवीएम एक स्टैंडअलोन प्रणाली है जिसे अनलॉक करने के लिए ओटीपी की आवश्यकता नहीं होती है। वैसे बता दें कि इसी अधिकारी पर चुनाव में पक्षपात करने के आरोप पहले ही लग चुके हैं।
चुनाव अधिकारी ने यह बात उस रिपोर्ट के जवाब में कही, जिसमें कहा गया था कि इस सीट से शिवसेना उम्मीदवार रवींद्र वायकर के एक रिश्तेदार ने वोटों की गिनती के दौरान ईवीएम से जुड़े मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर सिर्फ 48 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। सूर्यवंशी ने कहा, मोबाइल के लिए ईवीएम को अनलॉक करने में कोई ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) नहीं है क्योंकि यह नॉन-प्रोग्रामेबल है और इसमें वायरलेस संचार क्षमता नहीं है।
यह एक अखबार में फैलाया जा रहा सरासर झूठ है, जिसका इस्तेमाल कुछ नेता झूठी कहानी बनाने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक अखबार को मानहानि और झूठी खबर फैलाने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 499, 505 के तहत नोटिस भेजा गया है। मतदान अधिकारी ने कहा कि ईवीएम अपने सिस्टम के बाहर की इकाइयों से बिना किसी वायर्ड या वायरलेस कनेक्शन के स्टैंडअलोन डिवाइस हैं। उन्होंने कहा, छेड़छाड़ की संभावना को खत्म करने के लिए उन्नत तकनीकी विशेषताएं और मजबूत प्रशासनिक सुरक्षा उपाय हैं। सुरक्षा में उम्मीदवारों या उनके एजेंटों की उपस्थिति में सब कुछ संचालित करना शामिल है।
बता दें कि गत 4 जून को लोकसभा चुनाव नतीजों की घोषणा के दौरान एक मतगणना केंद्र पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के आरोप में वायकर के बहनोई मंगेश पांडिलकर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि मोबाइल फोन को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। कॉल रिकॉर्ड की जांच करें और देखें कि क्या इसका इस्तेमाल किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया गया था।
मतदान कर्मी दिनेश गुरव की शिकायत के आधार पर पांडिलकर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। एक निर्दलीय उम्मीदवार ने रिटर्निंग ऑफिसर को तब सतर्क किया जब उन्होंने मतगणना केंद्र पर ऐसे उपकरणों के प्रतिबंधित होने के बावजूद एक व्यक्ति को मोबाइल फोन का उपयोग करते देखा। उन्होंने कहा, रिटर्निंग ऑफिसर बनराई ने पुलिस से संपर्क किया। पांडिलकर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (सरकारी आदेशों की अवहेलना) के तहत मामला दर्ज किया गया।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस घटना को उच्चतम स्तर पर धोखाधड़ी बताया और इस पर चुनाव आयोग से सवाल उठाया। उन्होंने कहा, यह सर्वोच्च स्तर की धोखाधड़ी है और फिर भी चुनाव आयोग सोया हुआ है। यदि चुनाव आयोग ने हस्तक्षेप नहीं किया तो यह चंडीगढ़ मेयर चुनाव के बाद सबसे बड़ा चुनाव परिणाम घोटाला होगा और लड़ाई अदालत में देखने को मिलेगी।
शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, आश्चर्य की बात है कि चुनाव आयोग ने मतगणना केंद्र के सीसीटीवी फुटेज साझा करने से इनकार कर दिया है। मुझे लगता है कि यह एक और चंडीगढ़ जैसे मामले से बचने की कोशिश कर रहा है। इसके जवाब में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उन्हें लगता है कि उनकी जीतने वाली पार्टी की वजह से ही ईवीएम की पवित्रता पर संदेह जताया जा रहा है।
इस बीच, अलग से टेस्ला प्रमुख एलन मस्क ने ईवीएम की सुरक्षा पर सवाल उठाकर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें हटाई जानी चाहिए। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, मानव या एआई द्वारा हैक किए जाने का जोखिम छोटा है लेकिन फिर भी बहुत अधिक है। हालांकि, भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने मस्क के ट्वीट के जवाब में तर्क दिया कि डिजिटल हार्डवेयर को सुरक्षित करना संभव है। उन्होंने मस्क को सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को डिज़ाइन करने और बनाने का एक ट्यूटोरियल भी दिया। हालाँकि, मस्क ने अपनी चिंताओं को दोगुना करते हुए कहा, कुछ भी हैक किया जा सकता है।