धनबाद लोकसभा के चुनाव में अपने प्रत्याशी की जीत के लिए दिन रात परिश्रम कर रहे बोकारो के विधायक कुमार जयमंगल सिंह से उनके व्यस्त चुनावी कार्यक्रमों के बीच ही शिव कुमार अग्रवाल की चुनावी बातचीत हुई। अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच समय निकालकर उन्हें सवालों का बड़ी बेबाकी से उत्तर दिया। प्रस्तुत है बात चीत के संक्षिप्त अंश।
यहां देखिये उनके साक्षातकार का वीडियो
प्रश्नः धनबाद का राजनीतिक मैदान आपके लिए नया है, इस चुनौती से निपटने के लिए क्या कर रहे हैं।
उत्तरःजी नहीं, धनबाद का राजनीतिक मैदान मेरे लिए बिल्कुल भी नया नहीं है। दरअसल कोयला श्रमिकों के संगठन में होने की वजह से पिछले 24 वर्षों से धनबाद से सीधा रिश्ता रहा है। राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन का अध्यक्ष हूं। फेडरेशन का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं। टाटा के पैन इंडिया का अध्यक्ष हूं। डीवीसी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं। और यह तमाम उद्योग धनबाद लोकसभा क्षेत्र में ही आते हैं। अपने पिता के साथ धनबाद को बहुत करीब से देखता आया हूं। मैं भले ही बोकारो से विधायक हूं पर धनबाद लोकसभा के सभी इलाकों को बखूबी जानता हूं।
प्रश्नः आम तौर पर कांग्रेस की बीमारी गुटबाजी की रही है, तो क्या यहां भी इस बीमारी का कोई ईलाज है।
उत्तरःजी नहीं, यहां ऐसी कोई गुटबाजी नहीं है। सीधी बात है कि अगर प्रत्याशी या नेता सही होगा और अपने सारे लोगों को सही तरीके से सम्मान देगा तो गुटबाजी का कोई सवाल ही नहीं है। अगर कोई कार्यकर्ताओं को सही तरीके से और उचित सम्मान नहीं देगा तो निश्चित तौर पर गुटबाजी उत्पन्न होगी।
प्रश्नः नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व से प्रभावित जनता को अपने पाले में कैसे करेंगे
उत्तरःनरेंद्र मोदी जी शायद बहुत करिश्माई हैं। इसलिए पिछले दस सालों में एक भी उद्योग नहीं आया है। यहां के आस पास पर गौर करें तो कोल इंडिया, बीसीसीएल, डीवीसी, बीएसएल, मैथन, एनटीपीसी, फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन और इलेक्ट्रोस्टील जैसे जितने भी उद्योग यहां नजर आते हैं, यह सारे कांग्रेस की ही देन है। मोदी जी के पिछले दस सालों के कार्यकाल में कोई उद्योग यहां आया हो तो बताइये।
प्रश्नः धनबाद की परेशानियों को दूर करने की कोई भावी योजना भी बनायी है।
उत्तरःधनबाद की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि जिन उद्योगों का मैंने उल्लेख किया, उनमें सरकारी नौकरियां निकलनी बंद हो गयी हैं। जो योजनाएं पहले लायी गयी थी, उन्हें भी बंद करा दिया गया। मेडिकल अनफिट के मामले में भी लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है। सेल में ठेका मजदूरों के स्थायीकरण की जो प्रक्रिया थी, उसे भी बंद कर दिया गया। डीवीसी में बहाली निकलना बंद हो गया। इसलिए धनबाद को बचाने के लिए इन तमाम उद्योगों में नये सिरे से नौकरी के अवसर सरकारी स्तर पर बने, यह मेरी प्राथमिकता है। इससे इलाके का भला होगा।
इसके अलावा व्यापारियों को भी पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने की जरूरत है। यहां तथा दूसरे इलाकों में भी व्यापारियों को धमकी दी जाती है, उन्हें डराया जाता है। इसके लिए ऐसे व्यापारियों को सरकारी स्तर पर सस्ते दर पर सुरक्षा प्रदान करने की जरूरत है।
प्रश्नः जमीन के अंदर आग, यहां का बहुत पुराना मुद्दा रहा है पर अब तक सुलझा नहीं है। उस बारे में आपकी क्या राय है
उत्तरःजमीन के अंदर आग सिर्फ झरिया में ही नहीं है। मेरे अपने विधानसभा में भी जमीन के अंदर आग है। दरअसल माईनिंग का नियम है कि खदान में काम बंद होने पर उसे सही तरीके से भरा जाना चाहिए। जहां आग है, वहां के लोगों को अन्यत्र ले जाना चाहिए। झरिया की परेशानी यह है कि यहां पहले की खदानों को भरा ही नहीं गया है। लोगों को हटाने की बात हो रही है पर ऐसे खदानों को भरने पर ध्यान देने की जरूरत है।
प्रश्नः राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्राओं से क्या जनता में कोई बेहतर संदेश जा पाया है
उत्तरःभारत जोड़ो यात्राओं का परिणाम यह हुआ है कि सत्तर प्रतिशत आबादी अब एकजुट है। लोग समझ गये हैं कि विरोधी ताकतों से लड़ना है तो देश को एकजुट होना होगा। यही राहुल गांधी की यात्राओं का परिणाम है। हमारे पूर्वजों ने मुगलों और अंग्रेजों से भी एकजुट होकर संघर्ष किया था। अब राहुल गांधी के प्रयासों का नतीजा है कि हम सभी लोग महागठबंधन में एकजुट होकर लड़ रहे हैं।
प्रश्नः खास धनबाद संसदीय क्षेत्र के समीकरणों मसलन सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करने की क्या योजना है
उत्तरःमैं आधी आबादी या पूरी आबादी पर सोचकर काम ही नहीं करता। एक सामाजिक व्यक्ति होने के नाते मैं जाति और धर्म पर विभेद नहीं करता और सभी के लिए बराबर काम करता हूं।
प्रश्न कांग्रेस के इस बार के घोषणा पत्र को यहां के मतदाताओं ने कितना समझा है।
उत्तरःलोगों ने तो पिछले दस वर्षों के घोषणा पत्र का नतीजा देखा है। दरअसल भाजपा ने अपने घोषणा पत्र को वोट लेने का एक जरिया बना लिया है। पंद्रह लाख लोगों को मिले नहीं, दो करोड़ नौकरी मिली नहीं, ओबीसी का आरक्षण कम हो गया। ऊपर से अब भारत पर कर्जा भी बढ़ गया तो जनता उनके घोषणा पत्र पर कैसे भरोसा करेगी। जहां तक कांग्रेस के घोषणा पत्र कीबात है तो मैं मानता हूं कि इससे बेहतर घोषणा पत्र हो नहीं सकता। इसमें महिलाओं और छात्रों का खास तौर पर ध्यान रखा गया है।