अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में वास्तविक नियंत्रण रेखा खतरे में
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में भारत-चीन के बीच टकराव की आशंका जताई गई है। अमेरिकी खुफिया सूत्रों ने आशंका जताई है कि भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़े संघर्ष में शामिल हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, चीन न सिर्फ भारत में बल्कि दूसरे देशों में भी अपने अड्डे बनाने में सक्रिय है। इनमें पाकिस्तान और श्रीलंका का नाम लेते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग का मकसद अपनी ताकत बढ़ाना और चीन के हितों को विदेशों में फैलाना है।
संयोग से, भारत चीनी सीमा पर अतिरिक्त 10,000 सैनिकों की तैनाती कर रहा है। अमेरिकी रिपोर्ट में भारत-पाकिस्तान सीमा को लेकर भी चेतावनी दी गई है। ऐसा कहा जाता है कि नियंत्रण रेखा पर 2021 में युद्धविराम समझौते के नवीनीकरण के बाद तूफान से पहले की शांति देखी जा रही है। इस स्पष्ट शांति के बीच, न तो भारत और न ही पाकिस्तान ने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए कोई कदम उठाया है। भारत घरेलू राजनीतिक प्राथमिकताओं और आगामी चुनावों की तैयारी में व्यस्त है। पाकिस्तान आर्थिक मंदी से जूझ रहा है।
चीन को लेकर कहा जा रहा है कि 2020 के बाद से भारत-चीन किसी भी सीमा पार संघर्ष में शामिल नहीं हुए हैं लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया गया है। परिणामस्वरूप, छोटी और अलग-थलग झड़पें बड़े पैमाने पर सशस्त्र संघर्ष में बदल सकती हैं।
इसमें चीन की सैन्य विस्तार योजना, साइबर हमले, आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने की कोशिशों का भी जिक्र है। संयोग से, नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फीट लंबी सुरंग का उद्घाटन किया, जिससे तवांग तक सैनिकों और हथियारों की त्वरित पहुंच हो सकेगी। सीमा पर बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की कोशिशों पर दोनों देशों की गाज गिरी है। अमेरिकी खुफिया विभाग का कहना है कि बीजिंग 2035 तक पूरी तरह से आधुनिक राष्ट्रीय सेना बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।