Breaking News in Hindi

अफीम की खेती का जातीय हिंसा से संबंध

मणिपुर में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ कार्रवाई


  • वायु सेना को हवाई अभियान चलाकर नष्ट किया

  • संयुक्त अभियान में 225 लोगों को हिरासत में लिया

  • सुरक्षा बलों ने ड्रग्स के खिलाफ युद्ध तेज किया


भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी :  मणिपुर में अवैध अफीम की खेती को हिंसा का मुख्य कारण मानते हुए, वर्तमान में म्यांमार की सीमा से लगे मणिपुर के दक्षिणी हिस्सों में कई एकड़ अवैध अफीम के पौधों को अक्टूबर के अंत तक नष्ट करने का अभियान चल रहा है। दूरदराज के इलाकों में रसायनों के छिड़काव के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

केंद्र सरकार मणिपुर में अफीम की अवैध खेती को लेकर गंभीर है और इसीलिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय वायुसेना को मणिपुर में अफीम की फसल के हवाई अभियान चलाकर अवैध वृक्षारोपण को ‘नष्ट’ करने का फिर से निर्देश दिया है। मणिपुर 1,640 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा का 400 किलोमीटर हिस्सा साझा करता है।

इस 400 किलोमीटर लंबी सीमा के केवल 10 प्रतिशत हिस्से पर ही बाड़ लगाई गई है, जिससे यह ‘गोल्डन ट्राईएंगल’ म्यांमार, लाओस और थाईलैंड के त्रि-जंक्शन से पूर्वोत्तर भारत में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए रास्ता खुला है। इस सीमा क्षेत्र में पिछले कई महीने से चल रही जातीय हिंसा का सीधा संबंध अफीम की खेती और मादक पदार्थों की तस्करी से है।

मणिपुर में मौजूदा संकट का तात्कालिक कारण राज्य के बहुसंख्यक मैतेई समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की वजह से पहाड़ियों में बसी कुकी जनजाति का विरोध था। इस हिंसा के अन्य कारणों में पहाड़ी जनजातियों की आजीविका का नुकसान भी शामिल है, जो दशकों से अफीम की खेती पर ही निर्भर हैं।

जातीय झड़पों से प्रभावित क्षेत्रों में से एक सीमावर्ती चुराचांदपुर शहर है, जहां 3 मई को हिंसा शुरू हुई थी। चुराचांदपुर से लगभग 60 किमी दूर म्यांमार के चिन राज्य के उत्तरी हिस्से में अफीम की खेती व्यापक पैमाने पर होती है।मणिपुर की विशेष एंटी-ड्रग्स यूनिट नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बॉर्डर (एनएबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार ने 2017 से 2023 तक 18,664 एकड़ अफीम बागानों को नष्ट किया है। 2017-2022 में पांच साल के दौरान लगभग 14,359.4 एकड़ अफीम की खेती नष्ट की गई थी। इसी तरह 2022-23 में अब तक 4305 एकड़ अफीम की खेती नष्ट की जा चुकी है।

अकेले 2022 में 3517.8 एकड़ में लगी अवैध अफीम की खेती को नष्ट किया जा चुका है। इस वर्ष मार्च तक 787.3 एकड़ अवैध अफीम की खेती नष्ट की गई। 2020 से अब तक 16 ग्राम प्रधानों, 62 अवैध अफीम की खेती करने वालों और 2 निवेशकों सहित 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।सुरक्षा बलों और वन विभाग की एक सहयोगी टीम ने लिटान पुलिस स्टेशन, उखरुल के तहत मुल्लम और शोंगफेल हिल में लगभग 200 एकड़ अवैध अफीम के बागान को सफलतापूर्वक खत्म कर दिया।

ऑपरेशन अफीम की अवैध खेती का मुकाबला करने में एक महत्वपूर्ण कदम है, एक पौधा जो अक्सर अफीम और नशीले पदार्थों के उत्पादन से जुड़ा होता है। लक्षित अफीम के विनाश के अलावा, वायु सेना,सुरक्षा बल पहाड़ी और घाटी जिलों के सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्रों में व्यापक तलाशी अभियान और क्षेत्र प्रभुत्व में लगे हुए हैं और राज्य के विभिन्न जिलों में उल्लंघन के संबंध में 225 व्यक्तियों को हिरासत में लिया है।

आवश्यक मदों के साथ रारा-37 और रारा-2 पर क्रमश 173 और 215 वाहनों का संचलन सुनिश्चित किया गया है। सभी संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा के कड़े उपाय किए जाते हैं और वाहनों का स्वतंत्र एवं सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा काफिला मुहैया कराया जाता है। मणिपुर के पहाड़ी और घाटी दोनों के विभिन्न जिलों में कुल 140 नाका/जांच चौकियां स्थापित की गई थीं और पुलिस ने राज्य के विभिन्न जिलों में उल्लंघनों के संबंध में 225 व्यक्तियों को हिरासत में लिया था।

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।