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पिछले पांच साल में तीन लाख करोड़ की जालसाजी

सरकार की चुप्पी के बीच असली मामला जनता के सामने

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः देश की अर्थव्यवस्था के निरंतर मजबूत होने के बीच ही नींव की कमजोरी फिर से उजागर हो गयी है। पहली बार इस बात की जानकारी सामने आयी है कि इन पांच वर्षों में भारत के 12 सरकारी बैंकों में 5 साल में 3 लाख करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई है।

इसमें से अकेले वित्त वर्ष 2019-20 में 1 लाख 30 हजार करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी हुई है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने सोमवार को लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। संसद के इस उत्तर ने सरकार के उन तमाम दावों को धराशायी कर दिया है, जिनके जरिए सुनहरे सपने दिखाये जा रहे थे।

यह सवाल लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस सदस्य अभिषेक बनर्जी ने पूछा था। वह जानना चाहते हैं कि वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2022-23 तक पांच वर्षों में कितने धोखाधड़ी वाले वित्तीय लेनदेन हुए? भारतीय रिजर्व बैंक की जानकारी के मुताबिक वित्त राज्य मंत्री ने यह जवाब दिया।

उस जानकारी के मुताबिक, 2018-19 में 50 हजार 264 करोड़, 2019-20 लोकसभा चुनाव में 130 हजार 692 करोड़, 2020-21 में 67 हजार 459 करोड़, 2021-22 में 32 हजार 375 करोड़ और 2022-23 में 19 हजार 75 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई। सरकारी तौर पर सबसे ज्यादा धोखाधड़ी भारतीय स्टेट बैंक में होती है।

पांच साल में ही इस बैंक को 58 हजार 476 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। दूसरे स्थान पर पंजाब नेशनल बैंक है जिसका कुल घाटा 45,667 करोड़ रुपये है। यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया 37,972 करोड़ रुपये के घाटे के साथ तीसरे स्थान पर है। अन्य बैंक हैं बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक।

राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा कि रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार उन बैंकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 1 जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2023 तक बैंकों पर 34 करोड़ 14 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इससे पहले सरकारी बैंकों को लिए लगातार आर्थिक पैकेजों का एलान करते हुए इन जालसाजियों के बारे मे सरकार ने चुप्पी साध रखी थी।

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