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यार हमारी बात सुनो ऐसा एक इंसान .. .. ..

यार हमारी बात कोई सुनने को तैयार क्यों नहीं है, इसी पर रिसर्च किया है। दरअसल हर किसी को अपनी बात को सही ठहराने की जिद और जल्दबाजी है। अगर तकनीकी तौर पर कोई गलत हो भी गयी तो मैं या आप उसे खुले दिल से स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। नतीजा है कि देश में टकराव बढ़ता जा रहा है। अब तो गैर भाजपा शासित राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के बीच भी टकराव जैसी नौबत है। ऐसी ही हालत मणिपुर में भी देखने को मिली थी जब वहां हिंसा को नियंत्रित करने सेना को उतारा गया था। सेना और मणिपुर पुलिस के बीच हथियार भी तन गये थे। गनीमत रही कि गोलियां नहीं चली।

अब पंजाब, तमिलनाडु, तेलेंगना, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में भी एक नहीं अनेक बार इस टकराव की नौबत आ चुकी है। यह देश के लिए कोई शुभ संकेत नहीं है। गनीमत है कि दिल्ली में पुलिस भी केंद्र सरकार के अधीन है वरना वहां भी जय सिया राम होने में कोई कसर नहीं बची है।

दरअसल सभी दल अपने विरोधी पर आरोप लगाते हैं और अपने दामन में लगे दाग को भूल जाते हैं। इस बार पश्चिम बंगाल में ईडी के अफसरों का सर फूटना इस कड़ी में नई बात है। इधर झारखंड कैबिनेट ने प्रस्ताव पारित कर अपने अधिकारियों से कहा है कि किसी केंद्रीय एजेंसी से बुलावा आने पर विभागीय स्तर पर सरकार को सूचित करें और सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही इन एजेंसियों के पास जाएं। यह भी नये किस्म का गतिरोध नहीं सीधा सीधा दंगल है। खैर लोकसभा चुनाव के करीब आने पर ऐसे खेल होते हैं, इसका हमें अभ्यास है। लेकिन इसी बात पर अपने जमाने की हिट फिल्म दुश्मन का यह गीत याद आने लगा है। इस  गीत को लिखा था आनंद बक्षी ने और संगीत में ढाला था लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने। इसे किशोर कुमार ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल इस तरह हैं।

यार हमारी बात सुनो, ऐसा एक इंसान चुनो
जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो
जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो
यार हमारी बात सुनो, ऐसा एक इंसान चुनो
जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो
जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो
कोई है चालाक आदमी, कोई सीधा-सादा
कोई है चालाक आदमी, कोई सीधा-सादा
हम में से हर एक है पापी, थोड़ा कोई ज़्यादा
हो, कोई मान गया रे, कोई रूठ गया
हो, कोई पकड़ा गया, कोई छूट गया
यार हमारी बात सुनो, ऐसा एक बेईमान चुनो
हो, जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो
जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो
इस पापन को आज सज़ा देंगे मिल कर हम सारे
इस पापन को आज सज़ा देंगे मिल कर हम सारे
लेकिन जो पापी ना हो वो पहला पत्थर मारे
हो, पहले अपना मन साफ़ करो रे
फिर औरों का इंसाफ़ करो
यार हमारी बात सुनो, ऐसा एक नादान चुनो
हो, जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो
जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो
यार हमारी बात सुनो, ऐसा एक इंसान चुनो
हो, जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो
जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो
जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो

जब इस गीत को लिखा गया था तो रचयिता के भाव कुछ और थे पर समय बदलने के साथ साथ अब यह सवाल ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है कि जिसने पाप ना किया हो। इस कसौटी पर कौन खरा सोना है और कौन नकली सोना, इसकी परख न्यायिक तौर पर होने में काफी वक्त लगता है।

जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत को सच साबित करती है हमारी व्यवस्था। इस बीच असली सवाल पर्दे के पीछे चला जाता है कि हर गड़बड़ी के लिए नेताओं को जेल पहुंचाने के साथ साथ इस पर कोई ध्यान क्यों नहीं देता कि अफसरों की भी कोई जिम्मेदारी होती है। सारे अफसर दूध के धुले हैं, ऐसा कैसे माना जा सकता है। हर किसी के सामान्य जीवन और संपत्ति में बेहिसाब बढ़ोत्तरी के सवाल पर कोई उत्तर नहीं मिल पाता। यह अलग बात है कि ईडी ने झारखंड के कई अन्य अफसरों पर निशाना साध रखा है।

अब वे कब जाल में फंसते हैं, यह भी राजनीति की दिशा और दशा पर निर्भर है। एक उदाहरण काफी है कि चारा घोटाला में सिर्फ एक आईएएस अफसर सजल चक्रवर्ती दोषी ठहराये गये क्योंकि उनके उपायुक्त होने के दौरान चाईबासा ट्रेजरी से तीस करोड़ रुपये की अवैध निकासी हुई है। लेकिन यह सवाल पर्दे के पीछे चला गया कि क्या सिर्फ चाईबासा कोषागार से ही पैसे निकले थे या दूसरे जिलों का भी यही हाल था। उस दौर के कई अधिकारी आज भी महत्वपूर्ण पदों पर है, उनकी जांच का क्या हुआ।

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