उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढेगा
राष्ट्रीय खबर
रांचीः इसी माह फिर से बिजली दरें बढ़ने वाली हैं, झारखंड के उपभोक्ता प्रभावित होने को तैयार हैं। राज्य के 58 लाख बिजली उपभोक्ताओं पर राजकोषीय बोझ मंडरा रहा है क्योंकि झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग जनवरी के अंत तक वर्ष 2023-24 के लिए संशोधित बिजली दरों का अनावरण करने के लिए तैयार है।
आयोग के सदस्य तकनीकी अतुल कुमार ने बताया कि झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम ने जनसुनवाई के दौरान उठाई गई आपत्तियों पर राय मांगी है और निगम के जवाब के बाद सलाहकार समिति की बैठक बुलाई जाएगी। इस महीने घोषित होने वाली प्रस्तावित दरें जून 2023 में अंतिम संशोधन के बाद आती हैं। वितरण निगम बिजली बिल टैरिफ से 9302.94 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य रख रहा है।
इसमें घरेलू उपभोक्ताओं से 5276.31 करोड़ रुपये, वाणिज्यिक उपभोक्ताओं से 1080.29 करोड़ रुपये, एसएस श्रेणी के उपभोक्ताओं से 81.92 करोड़ रुपये, एलटी कनेक्शन से 371.14 करोड़ रुपये, सिंचाई से 161.49 करोड़ रुपये, एचटी कनेक्शन से 2735.01 करोड़ रुपये, रेलवे से 74 करोड़ रुपये शामिल हैं। और एमईएस से 12.80 करोड़ रु।
झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग फिलहाल वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए टैरिफ याचिका पर विचार-विमर्श कर रहा है। 2023-24 के लिए दरों को अंतिम रूप देने के बाद, आयोग अगले वित्तीय वर्ष के लिए सार्वजनिक सुनवाई प्रक्रिया शुरू करेगा, जिसमें 2023-24 और 2024-25 दोनों के लिए बिजली दरों को शामिल किया जाएगा। उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे आने वाले महीनों में अपने बिजली बिलों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव के लिए तैयार रहें।
दरअसल दूसरी बिजली उत्पादक इकाइयों से बिजली की खरीद की वजह से यह बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है। इस अतिरिक्त आर्थिक बोझ में अडाणी समूह द्वारा कोयला आयात की गड़बड़ी का अतिरिक्त पैसा भी शामिल है। अडाणी समूह के कोयला आयात के बारे में यह पहले ही पता चल चुका है कि वह कम दाम पर कोयला आयात करने के बाद काफी अधिक दाम पर इन्हें बिजली उत्पादक इकाइयों को बेच रहा है। केंद्र सरकार ने अपने एक निर्देश के तहत सभी ताप विद्युत उत्पादन इकाइयों के लिए आयातित कोयले का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है।