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रांचीः झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) की निदेशक किरण कुमारी पासी ने कहा है कि स्कूलों में छात्र पंजीकरण को अद्यतन करने के कार्य में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों और अधिकारियों को इसका परिणाम भुगतना होगा। जेईपीसी ने निबंधन कार्य की जांच के लिए 59 सदस्यीय टीम का गठन किया है।
समग्र शिक्षा पहल के तहत, 24 जिलों में छात्रों के पंजीकरण की समीक्षा करने के लिए एक राज्य स्तरीय टीम का गठन किया गया है, जो स्कूल न जाने वाले और ड्रॉपआउट बच्चों पर ध्यान केंद्रित करेगी। टीम को 7 जनवरी तक प्रत्येक जिले का दौरा कर रिपोर्ट तैयार करना अनिवार्य है।
सभी जिलों को लिखे अपने पत्र में, पासी ने अपने कर्तव्य की उपेक्षा करने वाले शिक्षकों, शिक्षा अधिकारियों या स्कूल अधिकारियों की पहचान करने और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, बाल पंजीकरण न केवल एक गैर-शैक्षणिक कार्य नहीं है, बल्कि मुख्य शैक्षिक कार्य है। उन्होंने कहा कि टीमें स्कूल के बुनियादी ढांचे, सुविधाओं, सुरक्षा और आसपास के वातावरण का भी आकलन करेंगी।
पासी ने अधिकारियों को जमीनी स्तर की सटीक जानकारी सुनिश्चित करने के लिए दूरदराज के इलाकों का भी दौरा करने का निर्देश दिया है। नई शिक्षा नीति और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 3 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा अनिवार्य है, जिसमें पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक, प्रारंभिक और माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं।
स्कूल न जाने वाले और ड्रॉपआउट बच्चों के पंजीकरण के लिए सर्वेक्षण पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ था। प्रत्येक विद्यालय विभागीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप अपने निर्धारित क्षेत्र में इस कार्य को सक्रिय रूप से कर रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 56.49 फीसदी सर्वे का काम पूरा हो चुका है।
जेपीईसी की राज्य मामलों की अधिकारी विनीता तिर्की ने कहा, अगर ऐसे छात्र एक महीने से अधिक समय से अनुपस्थित हैं तो उन्हें स्कूल वापस लाने पर विचार करना चाहिए। शिक्षक ऐसे बच्चों की पहचान करने और उनसे जुड़ने के लिए घर-घर अभियान चलाएंगे और शिक्षा विभाग को जमा करने के लिए प्रासंगिक डेटा रिकॉर्ड करेंगे।