जीएसटी क्रेडिट के लिए गलत दावे बड़ी चुनौती : सुशील मोदी
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जीएसटी के मुद्दे पर सांसदों ने राय दी
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पेट्रोल डीजल को इसके दायरे में लायें
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शून्यकाल में फिर से हुआ पुराना हंगामा
नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के सुशील मोदी ने आज राज्यसभा में कहा कि जीएसटी क्रेडिट के लिए व्यापारियों द्वारा किये जा रहे करोड़ों रुपये के गलत दावे सरकार के लिए बड़ी चुनौती हैं। श्री मोदी ने बुधवार को सदन में केन्द्रीय वस्तु और सेवा कर ( दूसरा संशोधन) विधेयक 2023 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि जीएसटी क्रेडिट के लिए बेईमानी से दावा करना सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि यह सरकार और ईमानदार करदाताओं के लिए चिंता का विषय है। भाजपा सदस्य ने कहा कि इस तरह के व्यापारियों के क्रेडिट को सीमित किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने जीएसटी प्रक्रिया में पंजीकरण के लिए न्यूनतम कारोबार की राशि 40 से बढाकर 60 लाख किये जाने की भी मांग की। साथ ही अपने राज्य में ही व्यापार करने वाले करदाताओं के लिए सरलीकृत पंजीकरण प्रक्रिया भी शुरू की जानी चाहिए।
श्री मोदी ने जीएसटी परिषद की सराहना करते हुए कहा कि इसमें एक निर्णय को छोड़कर सभी निर्णय सर्वसम्मति से बिना मतदान के लिये गये हैं । उन्होंने कहा कि केवल लॉटरी के मुद्दे को छोड़कर किसी मुद्दे पर कभी परिषद में मतदान नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद की अवधारणा को दूसरे मंत्रालयों में भी लागू किया जाना चाहिए।
बीजू जनता दल के अमर पटनायक ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि यह न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम 2021 के अनुरूप लाया गया है । उन्होंने कहा कि अभी देश में जीएसटी से संबंधित 15 हजार अपील लंबित हैं और न्यायाधिकरण के गठन से इनका समाधान होगा। उन्होंने कहा कि न्यायाधिकरणों में रिक्तियों को भी शीघ्रता से भरा जाना चाहिए।
वाई एस आर कांग्रेस के मस्तान राव बीड़ा ने विधेयक का समर्थन करते हुए जीएसटी में कर की श्रेणियों की संख्या के अत्यधिक होने का उल्लेख किया और कहा कि इससे करदाताओं में भ्रम पैदा होता है और कर्मचारियों का काम बढता है। अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरै ने जीएसटी के नाम पर लोगों को परेशान किये जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार केन्द्र से जीएसटी का पैसा ले रही है लेकिन उसे कहां खर्च कर रही है इसका पता नहीं चलता।
भाजपा के के. लक्ष्मण ने कहा कि जीएसटी न्यायाधिकरण में अधिवक्ताओं के साथ चार्टर्ड एकाउंट को भी स्थान देना चाहिए। चार्टर्ड एकाउंट भी अधिवक्ता के समान ही अपने विषय का जानकार होते हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी से संबंधित लाखों विवाद लंबित है। प्रस्तावित कानून से इन्हें निपटाने में मदद मिलेगी।
निर्दलीय सदस्य कार्तिकेय शर्मा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री के कारोबार के अनुकूल परिवेश मंत्र के अनुरुप है। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ रहा है। इससे कारोबार और कर से संंबंधित विवाद भी बढ़ने की आशंका है। विधेयक इसी आशंका निराकरण करेगा।
तेलुगु देशम पार्टी के कनक मेदला रवींद्र कुमार ने कहा कि जीएसटी न्यायाधिकरण में जूरी की आयु में ढील देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालतों में न्यायाधीशों के रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को डीजल और पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए। राज्य सरकारें जनता पर अनावश्यक बोझ डाल रही हैं।
भाजपा के अजय प्रताप सिंह ने कहा कि जीएसटी के लागू करने से कारोबारियों की परेशानियों में कमी आयी है और कर संग्रहण में वृद्धि हुई है। इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। टीएमसी एम के जी के वासन ने कहा कि जीएसटी से लोगों को लाभ मिलना चाहिए। जीएसटी से राष्ट्र की विकास गति बढाने में मदद मिली।
भाजपा की रमिला बेन बेचारभाई बारा ने कहा कि जीएसटी से देश में कर प्रणाली में समानता आयी है और लोगों को अनेक प्रकार के अप्रत्यक्ष करो से मुक्ति मिली है। इससे कई प्रकार के कर समाप्त हो गये हैं। उन्होंने अपना वक्तव्य गुजराती भाषा में दिया। भाजपा के घनश्याम तिवाडी ने कहा कि जीएसटी भारत के संसदीय प्रजातंत्र की मजबूती का प्रतीक है। भाजपा के अनिल सुखदेव बोंडे ने कहा कि जीएसटी से देश में परिवर्तन हुआ है। भाजपा के अनिल अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी लागू होने से व्यापारियों को लाभ हुआ है। कानूनी पचड़े कम करने में मदद मिलेगी।
राज्यसभा की कार्यवाही शून्यकाल में चार बार स्थगित
नयी दिल्ली: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से उपराष्ट्रपति पद के अपमान की घटना पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा। तीन बार के स्थगन के बाद श्री धनखड़ ने 11 बजकर 45 मिनट पर सदन की कार्यवाही चलाने का प्रयास किया, तो कांग्रेस के दिग्विजय सिंह बोलने के लिए खड़े हो गए।
विपक्ष के अन्य सदस्य भी जोर-जोर से बोलने लगे। इस पर श्री धनखड़ ने कहा कि उपराष्ट्रपति पद की गरिमा गिराई गई है। उन्होंने श्री सिंह को संबोधित करते हुए कहा कि इस मामले पर आपकी चुप्पी मेरे कानों में गूंज रही है। आप और आपकी पार्टी के अध्यक्ष भी चुप है। उन्होंने कहा कि 138 साल पुरानी पार्टी का स्तर इतना गिर गया है कि वह उपराष्ट्रपति पद की गरिमा को नहीं समझ रही है।
श्री धनखड़ ने कहा कि वह अपना अपमान सहन कर सकते हैं, लेकिन सदन का अपमान सहन नहीं करेंगे। सदन की गरिमा बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि उनके समाज, जाति और किसान का अपमान किया गया है। इस बीच विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा, जिसके कारण सभापति ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करने की घोषणा कर दी।
ममता ने मोदी से की मुलाकात
नयी दिल्ली: प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें राज्य के लिए लंबित केंद्रीय निधि के मुद्दे पर चर्चा के लिए केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक बुलाने का आश्वासन दिया है। सुश्री बनर्जी के साथ तृणमूल कांग्रेस के नौ सांसदों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की।
तृणमूल सांसद प्रतिनिधिमंडल ने श्री मोदी को एक पत्र भी सौंपा जिसमें राज्य की लंबित केंद्रीय निधि जारी करने का अनुरोध किया गया है। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए सुश्री बनर्जी ने कहा, प्रधानमंत्री ने मांगों को सुना और उन्होंने आश्वासन दिया कि वह समाधान खोजने के लिए केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक की व्यवस्था करेंगे।
मुख्यमंत्री बनर्जी ने पार्टी के नौ सांसदों के साथ संसर परिसर में संवाददाताओं से कहा कि केन्द्र की 150 से अधिक टीमें पहले ही पिम बंगाल को दौरा कर चुकी हैं और उनकी सरकार ने उन्हें लंबित धनराशि के बारे में सभी विवरण और स्पष्टीकरण दिए। उन्होंने कहा, इससे पहले मैं तीन बार प्रधानमंत्री से मिल चुकी हूं।
इन परियोजनाओं में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों की हिस्सेदारी होती है। इसलिए केन्द्रीय निधि रोकना ठीक नहीं है। पत्र में कहा गया है, विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं और पिछले वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के लंबित दावों के कारण केन्द्र सरकार पर लगभग 1.16 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। उन्होंने कहा गया है, बकाया राशि मनरेगा, पीएमएवाई, पीएमजीएसवाई और एनएचएम जैसी प्रमुख सामाजिक योजनाओं से संबंधित है।
सहारा रिफंड में अस्सी हजार करोड़ का दावा
नयी दिल्ली: सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि सहारा सहकारी समितियों से रिफंड के लिए अब तक तीन करोड़ लोगों ने 80 हजार करोड़ रुपये के रिफंड का दावा किया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी देते हुये कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार निवेशकों को रिफंड की प्रक्रिया पोर्टल के माध्यम से शुरू की गयी है।
अभी पांच हजार करोड़ रुपये इसके लिए मिले हैं और दावा किये जाने के 45 दिनों में रिफंड की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि निवेशकों को निवेश के दावे को लेकर प्रमाण ऑनलाइन ही देना होता है और उसकी पुष्टि होने के बाद ही रिफंड किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय के तहत यह काम किया जा रहा है। इसके लिए जो पोर्टल बनाया गया है उस पर रिफंड के दावे के निपटान की पूरी पारदर्शी प्रक्रिया बनायी गयी है और उसी के अनुरूप रिफंड की प्रक्रिया चल रही है।