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अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का हिस्सा
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चीन सीमा से चंद किलोमीटर दूर गांव
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महारैली में अनेक लोग भाजपा में शामिल
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी : केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरण रिजिजू और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के प्रचार के लिए आज नियमित रूप से अरुणाचल प्रदेश के दूर-दराज के शहरों और तूफानी दौरे पर चुनावी बिगुल फूंक दिया हैं। आज डुओ पश्चिम सियांग जिले के जिला मुख्यालय आलो शहर के एडवांस लैंडिंग ग्राउंड में उतरे।
आलो शहर के लिए परियोजनाओं के कई उद्घाटनों से युक्त मेगा रैली को हजारों नागरिकों द्वारा देखा गया था। रैली का उद्देश्य 31 आलो पूर्व विधानसभा क्षेत्र के लिए वर्तमान विधायक केंटो जिनी की उम्मीदवारी का समर्थन करना था। केंटो जिनी 2019 में भाजपा के टिकट पर निर्विरोध जीते और फिर से आलो पूर्व से भाजपा के अनुमानित उम्मीदवार हैं। इस महारैली में विभिन्न राजनीतिक दलों के 700 से अधिक सदस्य भाजपा में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में आलो पूर्व विधानसभा क्षेत्र के लोगम जिनी खेल के मैदान में एक विशाल सार्वजनिक रैली में भाग लेने के लिए आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री आलो शहर के शानदार परिवर्तन को देखकर प्रसन्न हुए और वर्तमान विधायक आलो पूर्व केंटो जिनी के जबरदस्त प्रयासों के प्रति आभार व्यक्त किया, जिनकी पहल के माध्यम से आलो शहर सुंदर सड़कों, बाजार और बुनियादी ढांचे के साथ भव्य दिखता है। उद्योग मंत्री तुमके बागरा, विधायक तालीम ताबोह, न्यामार करबाक, पूर्व मंत्री श्री दोई अदो और पार्टी के अन्य वरिष्ठ सदस्यों ने आलो में मेगा अवसर पर भाग लिया।
दूसरी ओर, अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर स्थित भारत के पहले गांव मागो चूना के निवासियों ने राज्य पर चीन के दावे को खारिज करते हुए करारा जवाब दिया है। कहा है, अरुणाचल भारत का अखंड हिस्सा है। वे हथियार चलाना जाते हैं। जरूरत पड़ी तो एके 47 लेकर चीनियों से लड़ जाएंगे। गांव के निवासी सेरिंग पेंडन ने कहा, अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा नहीं हो सकता। हम भारतीय हैं और अरुणाचल भारत का अखंड हिस्सा है। हम भारतीय सेना के साथ सुरक्षित हैं।
गांव में चीन सीमा पर 1,000 भारतीय सैनिक निगरानी कर रहे हैं। सीमा पूरी तरह सुरक्षित है। हम भी जवानों को पूरा सहयोग देने के लिए तैयार हैं। मोगा चूना के निवासियों ने बताया कि भाजपा के नेतृत्व में सरकार की ओर से अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। सेरिंग ने बताया कि नौ साल पहले तक गांव में सड़क नहीं थी। अब दो सड़कें बनीं। इनकी वजह से अब लोगों को निकटवर्ती शहर जांग पहुंचने में महज दो घंटे लगते हैं। पहले यहां पैदल जाना होता था, जिसमें तीन दिन लग जाते थे।यह गांव भारत-चीन सीमा से महज चार-पांच किमी दूर है।
यहां के वासी ताशी पेंडन ने बताया कि पहले इसे अरुणाचल में चीन सीमा की ओर आखिरी गांव कहा जाता था, लेकिन मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इसे भारत का पहला गांव घोषित किया है। यह तवांग जिले की थिंग्बू तहसील में आता है। पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यहां हो रहे विकास कार्यों को ग्रामीणों के सशक्तीकरण का जरिया बताया था।
मुख्यमंत्री ने हाल में कहा था कि गोल्डन जुबली बॉर्डर विलेज इल्यूमिनेशन प्रोग्राम और 200 करोड़ की लागत से बनने वाले 50 छोटे व लघु पनबिजली प्रोजेक्ट से हालात में सुधार आ रहा है। इनसे सीमावर्ती गांवों में हर समय बिजली आपूर्ति होगी।पहले गांव में सीमेंट की एक बोरी 1,500 से 2,000 रुपये की मिलती थी। अब ऐसा नहीं है, बल्कि निर्माण कार्य तेज हुए हैं। स्कूल, अस्पताल, सर्किट हाउस बन रहे हैं। पानी व बिजली की आपूर्ति हो रही है। दो छोटी पनबिजली परियोजनाएं भी गांव में बनी हैं। इनका फायदा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों को भी मिल रहा है।